चेन्नई। एक महत्वपूर्ऱ राजनीतिक घटनाक्रम में तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी AIADMK
के दोनों धड़े एकजुट हो गए हैं। मंगलवार की शाम दोनों धड़ों ने एक बैठक में
एकमत होकर पार्टी महासचिव वी शशिकला और उनके भतीजे दिनाकरन को पार्टी से
बाहर निकालने का फैसला किया। इस बैठक में पार्टी के 122 विधायक शामिल थे।
इससे पहले अन्नाद्रमुक के विरोधी धड़े के नेता ओ. पनीरसेल्वम के पार्टी
प्रमुख वीके शशिकला के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कहा था कि उनका मूल
सिद्धांत है कि पार्टी या सरकार किसी एक परिवार के हाथों में नहीं रहेगी।
इस साल फरवरी में विरोध करने के बाद शशिकला द्वारा पार्टी से बाहर निकाले
गए पनीरसेल्वम दिवंगत जे. जयललिता की मौत की जांच कराने की मांग पर भी अटल
थे। गौरतलब है कि कल ही कई मंत्रियों ने चेन्नई में बैठक करके दोनों विरोधी
धड़ोंं के बीच संभावित मेल-मिलाप पर चर्चा की थी। पूर्व मुख्यमंत्री ओ
पनीरसेल्वम (ओपीएस) ने दावा किया था कि जयललिता की मृत्यु के बाद पार्टी
के कानूनों का उल्लंघन करते हुए शशिकला को अन्नाद्रमुक का महासचिव नियुक्त
किया गया, जबकि उसका निर्वाचन होता है।
बैठक में यह फैसला किया गया कि पार्टी का कामकाज देखने के लिए एक कमेटी का
गठन किया जाएगा। यह कमेटी ही पार्टी के सभी बड़े पैसले लेगी। तमिलनाडु
सरकार में मंत्री डी जयकुमार ने मीडिया से कहा कि पार्टी ने एकमत होकर
फैसला किया कि शशिकला और उनके परिवार के किसी भी सदस्य को पार्टी में नहीं
रखा जाय। उन्होंने कहा कि पार्टी का कामकाज देखने के लिए एक हाई लेवल कमेटी
बनाई गई है।
इससे पहले सुलह के प्रयास को मंगलवार को उस वक्त करारा धक्का लगा, जब पूर्व
मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने कहा कि यह तभी संभव है, जब शशिकला तथा उनके
परिवार के सदस्यों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। मुख्यमंत्री
के पलनीस्वामी ने कहा कि यह शर्त अस्वीकार्य है।
एआईएडीएमके के मंत्रियों द्वारा पन्नीरसेल्वम गुट के साथ वार्ता शुरू करने
के एक दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने स्पष्ट किया कि सुलह तभी
संभव है, जब शशिकला तथा उनके परिवार के सदस्यों को पार्टी से बाहर का
रास्ता दिखाया जाएगा। थेनी जिले के पेरीकुलम में पन्नीरसेल्वम ने कहा कि
सुलह को लेकर तब तक कोई बातचीत संभव नहीं है, जब तक शशिकला तथा उनके परिवार
के सदस्य पार्टी में हैं।
हमारा रूख यही है कि शशिकला तथा उनके परिवार के सदस्य को पार्टी में नहीं
होना चाहिए।
पन्नीरसेल्वम ने कहा कि एआईएडीएमके के संस्थापक दिवंगत एमजी रामचंद्रन
(एमजीआर) तथा दिवंगत जयललिता इस बात के खिलाफ थे कि पार्टी पर किसी परिवार
का नियंत्रण हो। इस मौलिक रूख में कोई परिवर्तन नहीं आया है, जिसके मुताबिक
पार्टी तथा सरकार किसी परिवार के नियंत्रण में नहीं होनी चाहिए।
जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके दो धडों में बंट गई थी। एक का नेतृत्व
जेल में बंद पार्टी महासचिव शशिकला कर रही हैं, तो दूसरे का नेतृत्व
पन्नीरसेल्वम कर रहे हैं।
पन्नीरसेल्वम के मुताबिक एमजीआर ने जब एआईएडीएमके
का गठन किया तो उन्होंने अपने भाई तक को पार्टी के कामकाज में कभी शामिल
नहीं किया और 1987 में अपनी मौत तक तमिलनाडु में शासन किया। जयललिता ने
केवल शशिकला को पार्टी में शामिल किया था, उनके परिवार के किसी सदस्य को
नहीं।
शशिकला गुट ने पलटवार किया...
इस पर शशिकला गुट ने पलटवार किया। मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने कहा कि अगर
पन्नीरसेल्वम इस तरह की शर्ते रखते हैं, तो आगे सुलह की वार्ता नहीं हो
सकती। इस बीच, शशिकला गुट के विधायक वेतरिवेल ने सवाल किया कि पार्टी के उप
महासचिव टीटीवी दिनाकरण की सहमति के बगैर मंत्रियों का कोई समूह पार्टी के
दोनों धडों को एक होने को लेकर चर्चा कैसे कर सकता है।
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