चेन्नई। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि देश स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है लेकिन अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना बाकी है। तमिलनाडु डॉ. एम.जी.आर. चिकित्सा विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने यहां कहा, ‘‘करीब 12 फीसदी मौत दिल की बीमारी के कारण होती है। फेफड़ों की बीमारी और स्ट्रोक भी मौत का प्रमुख कारण हैं। प्रत्येक एक हजार नवजातों में से 53 अपने पांचवे जन्मदिन से पहले ही मौत के शिकार हो जाते हैं। स्टंटिंग और कुपोषण अभी भी समस्या बने हुए हैं।’’ ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नायडू ने कहा कि उन्हें लगता है कि व्यापक रुझान पूरी तस्वीर प्रकट नहीं करते हैं क्योंकि वे राज्यों और विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तरों के बीच मौजूदा प्रमुख असमानताओं को इंगित नहीं करते। उप राष्ट्रपति ने चिन्हित किया कि पिछले कुछ वर्षों में देश के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘1960 में भारत में पैदा हुए व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा 40 साल थी, जो अब बढक़र लगभग 70 वर्ष हो चुकी है। 1960 में भारत में पैदा हुए प्रत्येक 1,000 जीवित बच्चों में से लगभग 160 की पहले साल में मृत्यु हो जाती थी, लेकिन अब शिशुओं की मृत्यु दर उस स्तर की चौथाई है।’’
केंद्रीय सरकार की आयुष्मान भारत योजना के संदर्भ में नायडू ने कहा कि यह न केवल लोगों की स्वास्थ्य देखभाल सुविधा तक पहुंच में मदद करेगी बल्कि चिकित्सा बुनियादी ढांचे में वृिद्ध को भी प्रोत्साहित करेगी।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा बंधुत्व की क्षमता, डॉक्टरों की सही सलाह और रोगियों की भलाई के लिए उद्देश्यपूर्ण चिंता के कारण भारत में डॉक्टरों के प्रति आदरणीय दृष्टिकोण रहा है।
उप राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि किसी भी परिस्थिति में रोगी कल्याण के लिए समर्पित मार्ग से दूर न जाएं।
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