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नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा: तीर्थयात्रियों ने की व्यवस्थाओं की तारीफ

Kailash Mansarovar Yatra via Nathu La route: Pilgrims praise the arrangements - Gangtok News in Hindi

गंगटोक । नाथू ला मार्ग से हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा की तीर्थयात्री और अधिकारी काफी तारीफ कर रहे हैं। अधिकारियों का दावा है कि यात्रा को सुगम बनाने की दिशा में तैयारियों में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती गई है। सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजेंद्र छेत्री का कहना है कि तीर्थयात्रियों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात का सबूत है कि यात्रा का आयोजन बेहद शानदार है। चौथा जत्था अपनी पवित्र यात्रा पूरी कर ल्हासा के लिए रवाना हो चुका है। वहीं, पांचवां जत्था इस समय शेरथांग में तिब्बत में प्रवेश की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा, “तीर्थयात्री एसटीडीसी की सुविधाओं से बहुत खुश हैं। एक समय में तिब्बती क्षेत्र में दो जत्थे रहते हैं। एक प्रवेश करता है और दूसरा वापस लौटता है। पहले जत्थे में 36 तीर्थयात्री थे, जबकि बाकी में 45-48 यात्री शामिल हैं। प्रत्येक जत्थे के साथ विदेश मंत्रालय के दो संपर्क अधिकारी भी होते हैं। अंतिम जत्था 7 अगस्त को रवाना होगा, 12 अगस्त को तिब्बत में प्रवेश करेगा और 23 अगस्त तक भारत लौट आएगा। सभी तीर्थयात्रियों के 24 अगस्त तक स्वदेश लौटने की उम्मीद है। 2019 की पिछली यात्रा की तुलना में इस बार व्यवस्थाओं में काफी सुधार हुआ है।”
उन्होंने बताया कि स्वच्छता और आवास की सुविधाओं में विशेष प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, “इस साल चीनी अधिकारी भी बहुत सहयोग कर रहे हैं और उन्होंने बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया है।”
एक महिला तीर्थयात्री ने कहा, “यह यात्रा ईश्वर की कृपा से ही संभव हुई। सब कुछ इतनी अच्छी तरह से प्रबंधित था कि हमें कोई परेशानी नहीं हुई। योगी जी ने स्वयं हमारा स्वागत किया और उपहार दिए, जिससे यात्रा की शुरुआत बहुत खास रही।”
उन्होंने कैलाश पर्वत के दर्शन को गहरा आध्यात्मिक अनुभव बताते हुए कहा, “उस पल को याद करके आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं भारतीय और चीनी अधिकारियों के साथ-साथ पर्दे के पीछे काम करने वाले सभी लोगों की आभारी हूं। यह यात्रा न केवल सुगम थी, बल्कि वास्तव में दिव्य थी।”
वहीं, पुणे के तीर्थयात्री रवि वर्मा ने भी इस अनुभव को शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, “लंबी चढ़ाई और ऊंचाई के बावजूद मुझे कोई दर्द नहीं हुआ। यह अपने आप में चमत्कार जैसा था।”
इसके अलावा, उन्होंने यमद्वार, डेराफुक और डोलमा दर्रे की यात्रा का जिक्र किया, जो सबसे कठिन हिस्सों में से हैं। कम ऑक्सीजन और खड़ी चढ़ाई के बावजूद, डोलमा दर्रा सुरक्षित और सुगम लगा। गौरीकुंड से जल लेना मेरे लिए खास पल था।
उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने 1997 में 500 किलोमीटर पैदल चलकर यह यात्रा की थी, जिसने उन्हें प्रेरित किया। मैंने भले ही 40 किलोमीटर की यात्रा की, लेकिन यह अनुभव उतना ही खास था। मेरी सारी सफलता कैलाश पर्वत के आशीर्वाद से है।”
भोपाल के तीर्थयात्री देवेंद्र तिवारी ने यात्रा को सुचारू और संतोषजनक बताते हुए साथी तीर्थयात्रियों के अनुशासन की तारीफ की और भारत सरकार, विदेश मंत्रालय, आईटीबीपी और एसटीडीसी को उनके समन्वय के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, “बारिश या बादल भी हमारी राह में रुकावट नहीं बने। हमने शांतिपूर्वक दर्शन और पूजा पूरी की। मैं सचमुच धन्य महसूस करता हूं।”
--आईएएनएस

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Web Title-Kailash Mansarovar Yatra via Nathu La route: Pilgrims praise the arrangements
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