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पिंजरे में घुर्राता रहा पैंथर, टूटी हुई दांतों के साथ फंसा : 5 साल की मासूम का शिकार, पहाड़ी पर पसरा खौफ

Udaipur. Panther kept growling in the cage, trapped with broken teeth: 5-year-old innocent victim, fear spread on the hill - Udaipur News in Hindi

उदयपुर। गोगुंदा की पहाड़ियों में पसरी घबराहट की हवा आखिरकार थोड़ी थमी, जब एक और खौफनाक लेपर्ड को पकड़ा गया। इस पैंथर ने अभी दो दिन पहले ही, एक पांच साल की बच्ची की निर्दयता से जान ली थी। गांववालों की सांसें रुकी हुई थीं—हर झाड़ी, हर परछाई में मानो मौत घात लगाकर बैठी थी। इस बार का पिंजरा आखिरी उम्मीद थी, और शुक्रवार की रात करीब ढाई बजे, जब पिंजरे से एक घुर्राने की आवाज आई, सबको राहत मिली। यह तीसरा लेपर्ड था जो पिंजरे में फंसा।

गोगुंदा के मजावद पंचायत के कुडाऊ गांव में 25 सितंबर की रात को, सूरज नाम की पांच साल की बच्ची, अपने पिता गमेर लाल गमेती की गोद से जैसे ही दूर हुई, जंगल की तरफ एक भयंकर आवाज आई। पैंथर ने बच्ची को झपटकर उठा लिया था। भागते समय उसके छोटे-छोटे हाथ हवा में लहरा रहे थे, और पिता का दिल चीख उठता है। खोज में जुटे ग्रामीणों को जंगल में बच्ची की कटी हुई हथेली मिली। उस हथेली से कुछ ही दूरी पर पड़ी मासूम की सिर कटी लाश—इस मंजर ने सबकी आंखें नम कर दीं।
गांववालों की नींद, चैन सब गायब था। आंखों में डर, हाथों में टॉर्च और लाठियां लिए, हर कोने से लोग जंगल की ओर दौड़ पड़े। जंगल में सरसराती हर आवाज़ मानो उस आदमखोर की आहट सी लगती। बच्ची की मौत ने पूरे गांव के सीने में एक जख्म छोड़ दिया था। हर कोई बस यही कह रहा था, "अब भी खतरा टला नहीं है। निगरानी जरूरी है।"
जब पकड़े गए पैंथर को पिंजरे में देखा गया, तो उसकी आंखों में आग और घुर्राहट से जंगल थर्रा उठा। वह हष्ट-पुष्ट था, लेकिन उसकी दो दांत टूटे हुए थे। वन विभाग का दावा है कि यही वही आदमखोर हो सकता है, लेकिन कुछ अधिकारी अब भी यह पक्का कहने से हिचक रहे हैं। गांववालों की नजरों में, हर लेपर्ड अब एक खतरा बन गया है।
पिछले तीन दिनों से, पांच टीमें दिन-रात इसी पैंथर की तलाश में जुटी थीं। चार पिंजरे आसपास के इलाकों में लगाए गए थे, लेकिन पिंजरे के अंदर आने में उसने समय लिया। आखिरकार, शुक्रवार की रात, पैंथर उस पिंजरे के पास आया, मांस की गंध ने उसे खींच लिया। फिर ढाई बजे रात, उसकी घुर्राहट ने गांव में सबको सतर्क कर दिया।
पहले भी दो पैंथर पकड़े जा चुके थे, मगर अब गांव का हर आदमी सवाल कर रहा है—क्या यह आखिरी था? या फिर जंगल में मौत अभी भी घात लगाए बैठी है?
गांव की रातों से चैन छीनने वाली दास्तानपिछले एक हफ्ते से, गोगुंदा और आसपास के इलाकों में पैंथर के हमलों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। पहले ही दो पैंथर पकड़े जा चुके थे, जिनके दांत और पंजों में अब तक उन मासूमों की चीखें बसी थीं, जो इस खूंखार शिकारी का शिकार बने थे। लोगों के दिलों में डर का अंधेरा फैलता जा रहा है, और हर दिन जंगल से एक नई मौत की खबर आने का खौफ अब उनकी रगों में बसा हुआ है।
"बच्ची की मौत के बाद से ऐसा लगता है कि हर रात, ये जंगल हमें निगलने को तैयार है," कहते हैं गुलाबसिंह, जिन्होंने अपनी आंखों से गांव की रूह कंपा देने वाली घटनाओं को देखा है।

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Web Title-Udaipur. Panther kept growling in the cage, trapped with broken teeth: 5-year-old innocent victim, fear spread on the hill
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