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राज्य मानवाधिकार आयोग ने दिए प्रदेश भर में अस्पतालों की जांच का अभियान चलाने के निर्देश

The State Human Rights Commission gave instructions to conduct a campaign to inspect hospitals across the state - Udaipur News in Hindi

झालावाड़ में गलत इलाज से बच्चे की मौत का मामला


उदयपुर, । भवानीमण्डी झालावाड़ में तकरीबन दो वर्ष पूर्व कथित तौर पर गलत उपचार से बालक की मौत के बहुचर्चित प्रकरण में राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस रामचंद्रसिंह झाला की एकलपीठ ने संबंधित अस्पताल प्रबंधन, चिकित्सक तथा अन्य दोषी कार्मिकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर विधिसम्मत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही मृत बालक के पिता को 5 लाख रुपए की अनुतोष राशि का भुगतान तीन माह में करने के भी आदेश दिए। आयोग ने प्रदेश भर में अस्पताल की जांच कर मापदंडों की अवहेलना करते हुए संचालित हो रहे अस्पतालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई के भी निर्देश दिए।
यह था प्रकरण
झालावाड़ जिले की पचपहाड़ तहसील अंतर्गत भवानीमण्डी निवासी आशीष पारेता पुत्र अमरलाल पारेता ने 6 फरवरी 2024 को राज्य मानवाधिकार आयोग को परिवाद प्रेषित किया। इसमें बताया कि गत 25 जनवरी 2023 को प्रार्थी के 8 वर्षीय पुत्र प्रहल को पेट दर्द की शिकायत पर भवानीमण्डी स्थित नवजीवन हॉस्पीटल ले गए। वहां बच्चों के डॉक्टर के संबंध में पूछने पर डॉ शैलेंद्र पाटीदार का वहीं होना बताते हुए डॉ कुलदीप सिंह ने भर्ती पर्ची बनवाकर इलाज शुरू किया। पूछने पर बताया गया कि डॉ शैलेंद्र आकर बच्चे को देख लेंगे। सुबह 8 बजे डॉ कुलदीप की जगह डॉ हरिवल्लभ आए और बच्चे का उपचार करने लगे। परिवाद में बताया कि डॉ हरिवल्लभ ने भी डॉ शैलेंद्र के बताए अनुसार ही उपचार किए जाने की बात कहीं, जबकि डॉ शैलेंद्र अस्पताल आए ही नहीं और न ही मरीज को देखा, परिजनों से भी कोई बात नहीं की। परिवाद में आरोप लगाया कि सुबह 10.30 बजे डॉ हरिवल्लभ भी कहीं चले गए। बच्चे को संभालने वाला कोई नहीं था। बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ती चली गई। अस्पताल स्टाफ चिकित्सकों के कुछ ही देर में आने की बात कहता रहा। दोपहर 1.30 बजे डॉ हरिवल्लभ आए, उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि डॉ शैलंेद्र अवकाश पर हैं तथा अस्पताल नहीं आएंगे। परिवाद में बताया कि सुबह से झुठे बोलने और डॉक्टर की अनुपस्थिति में इलाज करने पर आपत्ति जताने पर बच्चे को अन्यत्र ले जाने को कह दिया। प्रार्थी बच्चे को गंभीर स्थिति में मेट्रो हॉस्पिटल ले गया। वहां की गई जांचों में बच्चे के किडनी, लीवर में संक्रमण होना पाया गया। डॉ गौरव जैन ने बच्चे की स्थिति को देखते हुए उसे बाहर ले जाने की सलाह दी। प्रार्थी निजी वाहन से बच्चे को कोटा ले जाने के लिए रवाना हुआ, लेकिन रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई। परिवादी ने नवजीवन अस्पताल के प्रबंधन, चिकित्सक और स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई करने, अस्पताल की मान्यता रद्द करने की मांग रखी।
जांच में कई कमियां उजागरउक्त परिवाद पर प्रसंज्ञान देते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी झालावाड़ को प्रकरण जंाच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए। जिला कलक्टर झालावाड़ के निर्देश पर उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच में कई कमियां उजागर हुई। जांच में पाया गया कि नवजीवन अस्पताल में नियुक्त शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेंद्र पाटीदार 23 से 26 जनवरी 2023 तक अवकाश पर थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने अवकाश प्रदर्शित नहीं करते हुए उनके नाम से फीस वसूली और मरीज को भर्ती भी किया। डॉ हरिवल्लभ एमबीबीएस चिकित्सक नहीं होकर बीएएमएस हैं, इसके बावजूद एलोपैथी पद्धति से बालक का उपचार किया। क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अस्पताल मंे 24 घंटे आपातकालीन चिकित्सा सुविधा के लिए एमबीबीएस चिकित्सक की उपलब्धता अनिवार्य है, लेकिन नवजीवन अस्पताल में 24 घंटे एमबीबीएस चिकित्सक उपलब्ध नहीं था। अस्पताल पर गंभीर प्रबंधकीय लापरवाही के चलते एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।
आयोग ने यह दिए आदेश
उक्त प्रकरण में राज्य मानवाधिकार आयोग सदस्य जस्टिस रामचंद्र झाला की एकलपीठ ने 5 नवम्बर 2024 को निर्णय दिया। इसमें मृत बालक के पिता आशीष पारेला को 5 लाख रूपए की अनुतोष राशि का भुगतान तीन माह में करने के निर्देश दिए। साथ ही राज्य सरकार को उक्त 5 लाख रूपए की राशि में से आधी राशि संबंधित अस्पताल के प्रबंधन अथवा दोषी चिकित्सकों से वसूलने का विकल्प भी दिया। इसके अलावा आयोग ने अस्पताल के चिकित्सक डॉ कुलदीपसिंह, आयुर्वेदाचार्य डॉ हरिवल्लभ, नवजीवन हॉस्पीटल एण्ड रिसर्च सेंटर भवानी मण्डी के प्रबंधन एवं संबंधित दोषी कार्मिकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर विधि सम्मत कार्रवाई के भी आदेश दिए। आयोग ने राज्य सरकार को प्रदेश भर में संचालित अस्पतालों में रजिस्ट्रीकरण और विनियम अधिनियम 2010 के प्रावधानों की अभियान चलाकर जांच कराने और उल्लंघन कर समुचित मानव संसाधनों की उपलब्धता नहीं होने के बावजूद अनाधिकृत चिकित्सकों द्वारा मानव स्वास्थ्य एवं जीवन के साथ खिलवाड़ कर कथित रूप से अनाधिकृत इलाज करने वाले अस्पतालों-चिकित्सकों के विरू़द्ध नियमानुसार उचित दण्डनीय कार्रवाई के भी आदेश दिए।

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Web Title-The State Human Rights Commission gave instructions to conduct a campaign to inspect hospitals across the state
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