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उदयपुर। आज जब दुनिया टकराव में उलझ रही है, ऐसे में परमार्थ ही हमें परस्पर सहयोग, सद्भाव और शांति से जीने की राह दिखाता है। यह बात नारायण सेवा संस्थान में आयोजित ‘अपनों से अपनी बात’ कार्यक्रम के दुसरे दिन संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने कही। उन्होंने कहा कि परमार्थ मनुष्य की अपने भीतर की तलाश से शुरू होता है, जो हमें अपने से बाहर ले जाता है और दूसरों की पीड़ा को अपनी समझने की हिम्मत देता है।
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कार्यक्रम में राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार, उ.प्र., प. बंगाल आदि राज्यों से विकलांगता सुधार की निःशुल्क सर्जरी और मोड्यूलर कृत्रिम अंग, केलीपर लेने आए दिव्यांग और उनके परिजन उपस्थित थे।
अग्रवाल ने कहा कि मनुष्य को विनम्र होना चाहिए। लेकिन समृद्धि पाकर वह अहंकार में चूर हो जाता है। यह अभिमान ही विनम्रता को खत्म तो करता ही है, अशिष्ट भी बना देता है। उन्होंने कहा कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति संसार से मुक्त होने की इच्छा तो रखता है लेकिन अपनी तृष्णाओं को छोड़ना नहीं चाहता। जब तक हम तृष्णाओं से घिरे हैं, मुक्ति के मार्ग पर नहीं बढ़ सकते। वास्तव में तृष्णा से मुक्त होना ही संसार से मुक्त होना है। उसके बाद हमें योनियों में भटकना नहीं पड़ेगा।
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