- फूड स्टॉल्स को डिस्पोजेबल कप पर लगाने होंगे अपने स्टीकर्स, ड्रेस कोड लागू करने पर भी विचार
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उदयपुर । जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल की अध्यक्षता में जिला पर्यावरण समिति की बैठक शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में आयोजित हुई। बैठक में सुखाड़िया सर्किल व फतहसागर पर चल रहे फूड स्टॉल्स को डिस्पोजेबल कप पर अपने स्टीकर लगाने के लिए पाबंद करने, ठेले वालों के लिए ड्रेस कोड लागू करने व प्लाटिंग के लिए पहाड़ियां समतल करने पर रोक लगाने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
जिला कलक्टर ने कहा कि भू-व्यवसायी इन दिनों शहर के आसपास की पहाड़ियों को समतल कर प्लाटिंग करने का कार्य जोर-शोर से कर रहे हैं, इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बैठक में निर्णय लिया गया कि ढलान वाली पहाड़ियों पर आवासीय कॉलोनी के लिए कन्वर्जन पर रोक लगाने के लिए उदयपुर विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा जाए।
जिला कलक्टर ने कहा कि सुखाड़िया सर्किल और फतहसागर पर डिस्पोजेबल कप के कचरे की समस्या के समाधान के लिए कचरा फैलाने वालों की पहचान करना आवश्यक है। इसके लिए उन्होने प्रत्येक स्टॉल संचालक को डिस्पोजेबल कप पर अपने स्टीकर चिपकाने के लिए पाबंद किया जाना जरूरी है।
उन्होंने नगर निगम आयुक्त को इस संबंध में सभी स्टॉल संचालकों को आदेश जारी कर स्टीकर लगाने के लिए पाबंद करने के निर्देश दिए ताकि कचरा फैलाने वालों की प्रभावी मॉनिटरिंग हो सके। इससे स्टॉल संचालक अपने ग्राहकों को कचरा फैलाने से रोकने के लिए बाध्य होंगे।
इसके अलावा इन स्थानों पर लगने वाले खाने-पीने की वस्तुओं के ठेले वालों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने को भी कहा। ठेले संचालकों से बैठक कर इस पर अग्रिम कार्यवाही करने के निर्देश उन्होने दिए। पर्यटन स्थलों पर डस्टबीन रखने का निर्णय भी बैठक में लिया गया। सड़कों पर आ रहे पेंथर की रोकथाम को लिए उपाय खोजने, श्वान की जनसंख्या पर नियंत्रण जैसे बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी।
बैठक में नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश, कृषि सहायक निदेशक डॉ डीपी सिंह, नगर निगम अतिरिक्त मुख्य अभियंता मुकेश पुजारी, रेंजर कैलाश मेनारिया, मेनार सरपंच प्रमोद, उप सरपंच मांगी लाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
वेटलेंड विकास के कार्यों पर चर्चा
हाल ही में वेटलैंड सिटी (रामसर साइट) के रूप में देश के तीन शहरों का चयन हुआ है जिनमें भोपाल व इंदौर के साथ उदयपुर भी शामिल है। उदयपुर के मेनार तालाब पर होने वाले विकास कार्यों जैसे पिलर लगाने, फैसिंग, टापू विकसित करने, आईपोमिया हटाने, कचरा पात्र लगाने जैसे कार्यों की चर्चा की गई। इसके अलावा चावंड व अन्य तालाबों को वेटलैंड के रूप में विकसित करने पर भी बात हुई।
ई-रिक्शा को बढावा
जिला कलक्टर ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत निर्माण कार्यों की बजाय ई-रिक्शा को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होने कहा कि प्रोग्राम के तहत बेरोजगार युवाओं को ई-रिक्शा आवंटन किए जाएं तो उन्हे रोजगार मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा।
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