- कहा— लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ की जाए कार्रवाई ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उदयपुर। रणथंभौर से उदयपुर लाए जाने के बाद टाइगर टी—104 की महज पांच घंटों में मौत पर राजसमंद सांसद दीया कुमारी तथा राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने सवाल उठाए हैं। दोनों का कहना है कि वन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से टाइगर की जान गई। दोनों ने मांग की है इस मामले में लापरवाह वन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
राजसमंद सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा कि रणथंभौर में विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक सप्ताह के अंदर एक और बाघ का निधन दुखद है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे हादसों को रोकने और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय नहीं अपनाए जारहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि बाघों के संरक्षण पर विचार करें। लापरवाही अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि दोबारा ऐसे उदाहरण सामने नहीं आएं।
इधर,राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने भी सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है कि रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ शिफ्ट करने के दौरान टाइगर की मौत अत्यंत दुखद है। इसमें शीर्ष स्तर के अधिकारियों की लापरवाही साफ तौर पर नजर आ रही है। टाइगर की मौत को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवई की जानी चाहिए।
वन एवं पर्यावरण मंत्री संज्ञान लें
राजस्थान लघु उद्योग निगम(राजसिको) के चेयरमैन एवं राज्यमंत्री राजीव अरोड़ा ने भी टी—104 की मौत को लेकर वन विभाग और संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि इस मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी को संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में बाघ को अपने स्थान से 700 किलोमीटर दूर ले जाया गया। साथ ही उसे अधिक मात्रा में ट्रेकुलाइज किया गया। इस निर्णय को लेकर जांच की जानी चाहिए। प्रारंभिक रूप से तो यह संबंधित विभाग तथा अधिकारियों की असंवेदनशीलता तथा लापरवाही को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि रणथंभौर के सबसे खूंखार तथा सबसे सुंदर माने जाने वाले साढ़े छह साल के बाघ टी—104 (चीकू)को दो दिन पहले रणथंभौर के एनक्लोजर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लिए भेज दिया गया। यहां लाए जाने के बाद महज पांच घंटे बाद ही इस बाघ की मौत हो गई थी। जिसको लेकर वन्यजीव प्रेमी बेहद आक्रोशित और दुखी हैं। उनका कहना है कि इस बाघ की मौत के लिए वन अधिकारी ही जिम्मेदार हैं। वन अधिकारियों के मुताबिक फेफड़ों सहित मल्टीपल संक्रमण की वजह से उसकी मौत हुई, जबकि वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि जब वह संक्रमित था तो उसका उपचार वहीं कराना चाहिए था, ना की उसे उदयपुर भेजा जाना।
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