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आदिवासियों का महाकुंभ बेणेश्वर मेला शुरू, महंत अच्युतानंद महाराज ने फहराई सप्तरंगी ध्वजा

Mahakumbh Beneshwar fair of tribals started, Mahant Achyutanand Maharaj hoisted the Saptarangi flag - Udaipur News in Hindi

-तीन राज्यों के आदिवासी आते हैं यहां

उदयपुर।
आदिवासियों के महाकुंभ बेणेश्वर मेले का आगाज बुधवार को डूंगरपुर जिले के त्रिवेणी संगम पर शुरू हुआ। महंत अच्युतानंद महाराज ने राधा-कृष्ण मंदिर पर सप्तरंगी ध्वजा फहराते हुए 10 दिवसीय मेले का आगाज किया। इस मेले में राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी बड़ी संख्या में भाग लेने आते हैं। मुख्य मेला 5 फरवरी को भरेगा, जिस दिन लाखों आदिवासी श्रद्धालु त्रिवेणी संगम के जल में पवित्र डुबकी लगाएंगे।
डूंगरपुर जिले में सोम, माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम स्थित बेणेश्वर धाम के महंत अच्युतानंद महाराज ने राधा कृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना के बाद सतरंगी ध्वजा की आम्रपल्लव के साथ पूजा की। उसके बाद ढोल-नगाड़ों और संत मावजी महाराज की वाणियों के साथ मंदिर पर ध्वजा फहराई गई। ध्वजारोहण के साथ ही बेणेश्वर मेले का आगाज हुआ और संत मावजी महाराज के जयकारे गूंज उठे।

साल भर में मृत परिजनों की अस्थियों का किया विसर्जन

बेणेश्वर मेले के दौरान ही सभी आदिवासी त्रिवेणी संगम पर साल भर में मृत परिजनों की अ​स्थियों का विजर्सन करते हैं। इस दौरान वह वह परिजनों के अंतिम संस्कार के बाद एक​त्र अस्थि फूलों को संजोकर अपने घरों पर ही रखे रखते हैं। हर साल की भांति बुधवार को आने वाले आदिवासियों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के बाद अपने मृत परिजनों की अस्थियों का विसर्जन किया। इससे पहले उन्होंने बेणेश्वर धाम स्थित भगवान राधा कृष्ण मंदिर, शिव मंदिर, ब्रह्माजी मंदिर और वाल्मीकि मंदिर में दर्शन किए। उल्लेखनीय है कि डूंगरपुर जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग जहां इस मेले में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है, वहीं अनुसूचित जनजाति विभाग भी खेलकूद सहित कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित करता है।

5 फरवरी को पालकी यात्रा और शाही स्नान रहेंगे आकर्षण
बेणेश्वर मेले में माघ पूर्णिमा के दिन 5 फरवरी को मुख्य मेला भरेगा। इसी दिन महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा निकाली जाएगी। साबला हरी मंदिर से पालकी यात्रा 5 किमी दूर बेणेश्वर धाम पहुंचेगी। बेणेश्वर आबुदर्रघाट पर महंत अच्युतानंद महाराज के साथ हजारों माव भक्त शाही स्नान कर डुबकी लगाएंगे। शाही स्नान और पालकी यात्रा के दर्शनों के लिए बड़ी भीड़ उमड़ने की संभावना है।

तीन राज्यों के आदिवासी आते हैं बेणेश्वर धाम, 300 साल से मेला भर रहा
माही, सोम और जाखम नदियों के पावन जल से घिरा बेणेश्वर धाम पर तीन राज्यों के आदिवासी मेले के दौरान आते हैं। इनमें राजस्थान के अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी होते हैं। डूंगरपुर और बांसवाड़ा की सीमा पर स्थित बेणेश्वर धाम पर आयोजित मेले को लेकर जो साक्ष्य मौजूद हैं, उससे माना जाता है कि पिछले तीन सौ सालों से यहां मेला भरता आया है। बेणेश्वर मंदिर के परिसर में लगने वाला यह मेला भगवान शिव को समर्पित होता है। संगम पर बने इस मंदिर के निकट भगवान विष्णु का भी मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है कि जब भगवान विष्णु के अवतार माव जी ने यहां तपस्या की थी, यह मंदिर उसी समय बना था। इस धाम को राजस्थान और आदिवासियों का प्रयागराज कहा जाता है।

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Web Title-Mahakumbh Beneshwar fair of tribals started, Mahant Achyutanand Maharaj hoisted the Saptarangi flag
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