उदयपुर। तालिबानी तरीके से कन्हैयालाल की हत्याकांड की दहशत एक साल बाद भी अभी बाकी है। मालदास स्ट्रीट बाजार में अब कोई कारोबारी नई दुकान नहीं खोलना चाहता। जबकि बरसों से जमे बीस फीसदी से अधिक व्यापारियों ने अपने कारोबार वहां से समेट लिए। कन्हैयालाल हत्याकांड को वह याद नहीं रखना चाहते।
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पिछले साल की 28 जून को मालदास स्ट्रीट बाजार की भूतमहल गली में सुप्रीम टेलर्स के नाम पर कन्हैयालाल की दुकान थी और वह अन्य कामगारों के साथ सिलाई का काम करता था। उस दिन दो युवकों ने दिन दहाड़े गला रेतकर उसकी हत्या ही नहीं की बल्कि उसका लाइव वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया। इस घटना से ऐसी दहशत फैली कि एक साल बीतने के बावजूद मालदास स्ट्रीट बाजार में कोई भी कारोबारी नई दुकान खोलना नहीं चाहता। यहां काम कर रहे कारोबारी बताते हैं कि इस बाजार में संभाग भर के कपड़ा कारोबारी खरीदारी करने आते थे लेकिन अब वह कारोबार भी सिमट गया। वैवाहिक सीजन में तो यहां की रौनक अलग ही रहती थी। सभी समुदाय के लोग जमकर खरीदारी करते लेकिन अब यह सिमट कर बीस से पचास फीसदी ही रह गया। जिसके चलते कई दुकानदार अपना प्रतिष्ठान खाली कर चले गए। जिस भूतमहल गली में कन्हैयालाल की दुकान थी वहां कोई दुकान खोलना ही नहीं चाहता। वहां का खालीपन अब काटने को दौड़ता है।
बाहर से ताला लगाकर अंदर घरों में रहते हैं लोग
इस इलाके में जो कुछ घर हैं, वहां लोग बाहर से ताला लगाकर घरों में अंदर ही रहते हैं। लोगों में अबतक उस घटना का खौफ बना हुआ है। इसका कारण दहशत ही है। हालांकि यहां बसे लोगों का यह भी कहना है कि यह बीती बात है लेकिन कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहते।
कन्हैया हत्याकांड से दहल उठा था देश
28 जून 2022 को कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद पूरा देश दहल गया था। घटना हुए कुछ घंटे ही हुए थे और पूरे राजस्थान में इंटरनेट बंद हो गया था। तीन दिन तक राजस्थान और फिर एक सप्ताह तक उदयपुर में इंटरनेट बंद रहा। काफी समय तक उदयपुर में खौफ का माहौल था। लगातार उदयपुर में एनआईए, एटीएस, एसटीएफ सहित तमाम एजेंसियों का डेरा डाला हुआ था। इस वजह से मालदास स्ट्रीट में लम्बे समय तक एजेंसियां जांच और ट्रायल के लिए आती थी। इसका असर भी उस इलाके के व्यापार पर देखने को मिला था।
पड़ोसी ने ही की रैकी, नाप लेने के बहाने की थी हत्या
कन्हैयालाल की दुकान के पास ही नाजिम की भी शॉप थी। कन्हैया के दुकान पर आने और जाने की जानकारी पड़ोसी नाजिम ने ही मोहम्मद गौस और रियाज अत्तारी को दी थी। जिन्होंने बाद में उसकी हत्या की थी।
परिजनों का आरोप, पुलिस ने बरती लापरवाही
कन्हैयालाल के परिजनों का आरोप है कि हत्या की घटना से पहले कन्हैयालाल को धमकियों भरे फोन आ रहे थे। कन्हैयालाल ने इसकी शिकायत नजदीकी पुलिस को की थी। मगर पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उलटे कन्हैयालाल को एक रात जेल में बितानी पड़ी थी। जबकि पुलिस का कहना था कि इस मामले में दोनों पक्षों में सुलह करवा दी गई थी।
इंसाफ का इंतजार कर रही कन्हैयालाल की अस्थियां, बेटे ने छोड़ी चप्पल पहनना
एक साल भी कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा नहीं मिली है। कन्हैया का बडे बेटे यश ने कसम ली है जब तक उसके पिता के हत्यारों को फांसी नहीं हो जाती, तब तक वह ना तो बाल कटाएगा और पांव में चप्पल पहनेगा। पिताजी की अस्थियों को भी वह हत्यारों को सजा होने के बाद ही विसर्जित करेंगे। यश कहता है कि फास्ट ट्रेक कोर्ट का मतलब क्या है, जब एक साल बाद भी उनको न्याय नहीं मिला। परिजनों का कहना है कि उनके परिवार की मुश्किल इतनी बढ़ गई है कि अब उन्हें कहीं भी जाना होता है तो पुलिस से इजाजत लेनी पड़ती है। कन्हैया के दोनों बेटों को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी दे दी लेकिन उन्हें छोड़ने और लाने के लिए हमेशा दो गनमैन साथ होते हैं। कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा बताती है कि उनका जीवन अब सामान्य नहीं रहा। अब रिश्तेदार भी उनके घर आने से घबराते हैं। दूर के रिश्तेदारों और मित्रों ने आना छोड़ दिया। वह कहती है कि जिस नुपूर शर्मा के बयान को लेकर उनके पति की हत्या कर दी, वह खुद तो बाहर खुली घूम रही है और उनके पति ने कुछ नहीं बोला, उनकी निर्मंम हत्या कर दी और हम कैद हैं।
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