उदयपुरा। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कन्हैयालाल हत्याकांड मुद्दे पर राजनीति चरम पर है। यहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उदयपुर में 9 नवम्बर को संपन्न चुनावी सभा में इस मुद्दे को उठाया और अगले दिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मीडिया के समक्ष फोटो जारी कर हत्यारों का संबंध भाजपा नेताओं से दिखाया। दोनों ही पार्टी इस मुद्दे पर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन कन्हैयालाल के परिजनों का कहना है कि बीेेजेपी और कांग्रेस इस जघन्य हत्याकांड पर राजनीति करने की बजाय हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा, बेटा तरूण और यश का कहना है कि पार्टियां कन्हैया के नाम का फायदा उठाने की बजाय इस बात पर जोर दें, ताकि उनके हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी पर लटका दिया जाए। इस मामले की जांच केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआईए कर रही है और पिछले महीने एनआईए ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हमें राजनीति नहीं, इंसाफ चाहिएः
कन्हैयालाल के परिजनों का कहना है कि हमें राजनीति नहीं, इंसाफ चाहिए। मंत्री-नेता उनके घर आते रहे। लेकिन, मामले को लेकर किसी ने सुध नहीं ली। हालांकि घटना के बाद राज्य सरकार ने कन्हैयालाल के दोनों बेटों की सरकारी नौकरी दी और सुरक्षा प्रदान की। अभी भी कन्हैयालाल के दोनों बेटे सुरक्षाकर्मियों के साथ ही दफ्तर आते-जाते हैं और उनके घर पर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।
हत्यारों को फांसी के बाद बेटा यश पहनेगा चप्पलः
कन्हैयालाल के बेटे यश ने कसम ली है जब तक उसके पिता के हत्यारों को फांसी की सजा नहीं हो जाए तब तक वह ना तो अपने सिर के बाल कटाएगा और ना ही पांवों में चप्पल-जूते पहनेगा। उसके पिता की मौत को डेढ़ साल बीत चुके हैं । अभी तक मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
गौरतलब है कि पिछले साल 28 जून को रियाज अत्तारी एवं गौस मोहम्मद ने दिन दहाड़े कन्हैयालाल का गला रेतकर हत्या कर दी थी। इस घटनाक्रम का वीडियो बनाने के बाद हत्यारों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था। राजस्थान पुलिस ने घटना वाली शाम ही दोनों हत्यारों को राजसमंद जिले के भीम क्षेत्र से दबोच लिया था और एनआईए को सौंप दिया था।
बेटा यश बोला-हमें नहीं मिली चार्जशीट की कॉपीः
कन्हैया के बड़े बेटे यश का कहना है कि उनके पिता की हत्या को सियासी हथियार बनाया जा रहा है। मामला कोर्ट में है तो इसको निर्णय तक पहुंचने का काम होना चाहिए था, किन्तु ऐसा नहीं किया जा रहा। उन्हें समझ नहीं आता कि एनआईए फास्ट ट्रेक कोर्ट की तरह अभी तक हत्यारों को फांसी की सजा नहीं दिलवा पाई। हमें भी नहीं पता केस में क्या चल रहा है? हमनें जब चार्जशीट की कॉपी मांगी तो गोपनीयता के नाम पर इंकार कर दिया गया।
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