उदयपुर । राजस्थान में झीलों का शहर उदयपुर के समीप स्थित एक गांव में शारीरिक रूप से अशक्त लोगों को एक नई जिंदगी बसर करने के लिए सशक्त बनाया जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गांव में अशक्तों को अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाने के मकसद से न सिर्फ उनकी शारीरिक विकृतियों को दूर करने के लिए उनकी सर्जरी के साथ-साथ अन्य उपचार नि:शुल्क किया जा रहा है, बल्कि उन्हें रोजगार के साधन भी मुहैया करवाए जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें कंप्यूटर और मोबाइल की मरम्मत से लेकर सिलाई-कटाई का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
गांव में स्थित नारायण सेवा संस्थान के परिसर में अत्याधुनिक उपकरण से सुसज्जित अस्पताल, अनाथालय, स्मार्ट स्कूल, कौशल प्रशिक्षण संस्थान और पुनर्वास, भौतिक चिकित्सा व प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र भी हैं। इस गांव को स्मार्ट गांव का खिताब मिला है, क्योंकि ग्रामवासियों के लिए इस परिसर के भीतर एटीएम मशीन, इंटरनेट और खुद के टॉय ट्रेन समेत जीविका के सारे साधन व सुविधाएं हैं।
विशिष्ट सेवा के लिए पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित कैलाश अग्रवाल 'मानव' द्वारा स्थापित इस संगठन का एकमात्र मकसद अशक्तों को इस योग्य बना देना है कि संस्थान छोड़ने के बाद वे अपनी आजीविका का साधन खुद बना सकें।
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष, प्रशांत अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि संगठन द्वारा न सिर्फ पोलियोग्रस्त मरीजों की सर्जरी की जाती है, बल्कि अन्य जन्मजात विकृतियों से ग्रस्त मरीजों का भी इलाज करवाया जाता है।
कैलाश अग्रवाल के पुत्र प्रशांत ने बताया, "गरीबों, जरूरतमंदों और शारीरिक रूप अशक्त लोगों के पुनर्वास के लिए उनकी देखभाल की सुविधा मुहैया करवाने के अलावा हम उनके परिचारकों को भी कंप्यूटर और मोबाइल मरम्मत करने और सिलाई-कटाई करने का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। अब तक 4,276 लोगों ने हमारी इस सुविधा का लाभ उठाया है।"
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