उदयपुर। नगर विकास टैक्स यानि यूडी टैक्स वसूल रही कंपनी स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा.लि. पर आखिर कोई तो मेहरबान है। उदयपुर नगर निगम के ज्यादातर पार्षद चाहते हैं कि लापरवाह और मनमाने तरीके से वसूली नोटिस जारी कर लोगों को परेशान करने वाली इस कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया जाए। लेकिन, इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। हाल ही कांग्रेस पार्षदों ने भी अनशन कर इस कंपनी की कार्यप्रणाली को लेकर विरोध जताया था। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस कंपनी पर रोक लगाए जाने की मांग भी की गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजधानी जयपुर समेत राजस्थान के कई शहरों में यूडी टैक्स वसूली का काम जयपुर की स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा.लि. कंपनी कर रही है। उदयपुर नगर निगम के लिए भी यही कंपनी काम कर रही है। तय शर्तों के अनुसार उसे वसूल की गई राशि का 10 प्रतिशत पैसा बतौर भुगतान मिलता है। उदयपुर नगर निगम क्षेत्र में आने वाले मकान मालिकों को हाल ही कंपनी ने यूडी टैक्स वसूली के लिए नोटिस जारी किए हैं। जिनमें गलतियों की भरमार है। पिता की जगह बेटे को नोटिस भेजा रहा है, वहीं उन लोगों को भी नोटिस भेज दिए गए, जो दायरे में नहीं आते।
उदयपुर नगर निगम के पार्षद और प्रशासनिक समिति के सदस्य लोकेश गौड़ को भी यूडी टैक्स वसूली का नोटिस भेज दिया गया। जिसके चलते यह मामला फिर चर्चा में आ गया। उनके पुरजोर विरोध और अनशन किए जाने के बाद उनसे जुड़ा मामले में हल निकल गया। लेकिन, आम जनता आज भी नगर निगम के चक्कर लगा रही है। कांग्रेस पार्षद लोकेश गौड़ ने बताया कि कमिश्नर और मेयर की शह पर कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी शहर में यूडी टैक्स के नाम पर लूट मचा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राजधानी जयपुर में भी नगर निगम की ओर से स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लि. को पहले आयुक्त महेंद्र सोनी द्वारा ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी का नोटिस दिया गया था। लेकिन, बाद में उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह नोटिस भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में एफआईआर दर्ज होने, कंपनी कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली, प्रॉपर्टी सर्वे का काम पूरा नहीं करने और टैक्स के गलत बिल जारी किए जाने जैसी शिकायतों के आधार पर दिया गया था।
असम राज्यपाल कटारिया भी कर चुके हैं ब्लैकलिस्ट करने की मांगः
लापरवाही और अनियमितताओं की वजह से राज्य विधानसभा में तत्कालीन प्रतिपक्ष नेता और अब असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी यूडी टैक्स वसूली के लिए अधिकृत कंपनी स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लि. को ब्लैकलिस्ट करने की मांग कर चुके हैं। कांग्रेस पार्षदों ने इस कंपनी पर लूट का आरोप लगाते हुए इसे ब्लैकलिस्ट किए जाने की मांग की थी। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पत्र भेजा है।
कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि कई गलतियों के बावजूद इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट किस लिए नहीं किया जा रहा, समझ नहीं आ रहा। जबकि इसके चलते नगर निगम को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। गलत टैक्स बिलों के चलते शहर के लोग परेशान हैं।
कांग्रेस पार्षद लोकेश गौड़ का कहना है कि उनके पिता के नाम के ऐसे मकान पर यूडी टैक्स का नोटिस थमा दिया गया, जो 2000 वर्ग फीट से कम का है। जबकि 2700 वर्ग फिट तक के मकान पर यूडी टैक्स नहीं लगता। उनके पार्षद और प्रशासनिक समिति सदस्य होने से गलती सुधार ली गई। लेकिन आम आदमी आज भी परेशान है और उनकी सुनवाई नहीं हो रही।
कांग्रेस पार्षदों ने किया था नगर निगम में हंगामाः
यूडी टैक्स कंपनी के वसूली को लेकर जारी नोटिसों में भारी खामियों को लेकर मिल रही शिकायतों के चलते पिछले दिनों नगर निगम की प्रशासनिक समिति की बैठक में कांग्रेस पार्षदों ने जमकर हंगामा मचाया। उनकी मांग की थी, भारी गलती करने वाली और नगर निगम को नुकसान पहुंचाने वाली कंपनी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए थी। इस मामले में ना तो स्वायत्त शासन निदेशालय औऱ ना ही नगर निगम प्रशासन ध्यान दे रहा।
सेटलमेंट के नाम पर मामला रफा—दफा करने का आरोपः
पार्षद लोकेश गौड़ का कहना है कि उनके पिता के नाम पर एक मकान है, जिसका यूडी टैक्स करीब 2 लाख 47 हजार रुपए निकालकर बिल थमा दिया। इसमें बताया गया कि उनके मकान का ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर बिजनेस किया जा रहा है, जबकि दूसरी मंजिल पर आवास है। उनके पिता का मकान पर दूसरी मंजिल नहीं है और ना ही किसी तरह बिजनेस उपयोग में लिया जा रहा है। जबरन लगाए यूडी टैक्स विरोध करने पर बोर्ड ने इस बिल को निरस्त करने की बात कही लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पार्षद गोपाल नागर, विनोद जैन, प्रशांत श्रीमाली, राशिद भाई का कहना है कि आए दिन कंपनी के अधिकारी आमजन के साथ यूडी टैक्स के नाम पर खुली लूट मचाते हैं। सेटलमेंट के नाम पर बुलाकर ले—देकर मामला रफा दफा कर देते हैं।
इस मामले में नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत का कहना है कि शिकायतें मिलने पर समाधान भी किए जा रहे हैं। ब्लैक लिस्ट किए जाने का अधिकार नगर निगम के पास नहीं, बल्कि राज्य सरकार के पास है।
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