उदयपुर । कांग्रेस का उदयपुर में चल रहे
तीन दिन के चिंतन शिविर का रविवार को समापन हो गया। नौ साल के अंतराल के
बाद हुए इस चिंतन शिविर में 430 नेताओं ने भाग लिया और कांग्रेस कार्य
समिति (सीडब्ल्यूसी) ने एक छह मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है। कांग्रेस का
मानना है कि जिस तरह ठीक 80 वर्ष पहले, साल 1942 में महात्मा गांधी ने
'भारत छोड़ो' का नारा दिया था, उसी तर्ज पर 2022 का 'भारत जोड़ो' देश का
नारा है और यही है उदयपुर का 'नव संकल्प'।
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने एक छह मसौदा प्रस्ताव तैयार किया,
जिसमें संगठन, किसान-कृषि, युवाओं से संबंधित मुद्दे, सामाजिक न्याय और
कल्याण और अर्थव्यवस्था का मुद्दा शामिल था। तीन दिवसीय चिंतन शिविर में
कांग्रेस द्वारा कुछ बड़े संकल्प लिए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
युवाओं को लेकर कांग्रेस
के युवा समूह ने संकल्प लिया है कि भाजपा निर्मित बेरोजगारी के दंश से
लड़ने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक 'रोजगार दो पदयात्रा' का प्रस्ताव
किया, जिसकी शुरुआत आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर 15 अगस्त, 2022 से होगी।
स्कूलों
में लागू किए गए शिक्षा के अधिकार कानून की तर्ज पर गरीब विद्यार्थियों के
लिए कॉलेज व विश्वविद्यालयों में भी निशुल्क शिक्षा का प्रावधान हो और सभी
सरकारी विभागों, भारत सरकार के उपक्रमों व तीनों सेनाओं में पड़े खाली पद
अगले छह महीनों में विशेष 'भर्ती अभियान' चलाकर भरे जाएं।
इसके
अलावा संगठनात्मक स्तर पर 50 प्रतिशत पद 50 साल से कम उम्र के साथियों को
मिलें। युवा समूह ने यह निष्कर्ष भी निकाला कि संसद, विधायिकाओं, विधान
परिषद व सभी चुने हुए पदों पर रिटायरमेंट की उम्र की एक सीमा तय की जाए।
भविष्य
में पार्टी की सरकारों में सभी पदों पर 50 वर्ष से कम आयु के 50 प्रतिशत
व्यक्ति हों। उससे अधिक उम्र के तजुबर्ेेकार लोगों का फायदा पार्टी के
संगठन की मजबूती के लिए लिया जाए। 2024 के संसदीय लोकसभा चुनाव से शुरुआत
कर उसके बाद सभी संसद, विधायिकाओं, विधान परिषदों व अन्य स्तरों पर कम से
कम 50 प्रतिशत टिकट 50 वर्ष से कम की आयु के साथियों को दिए जाएं।
पार्टी
के नेताओं द्वारा गैरराजनैतिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका व सक्रियता
निभाई जाए, जैसे कि यूथ फेस्टिवल, सांस्कृतिक आयोजन, खेल आयोजन, यूथ
पार्लियामेंट, विषय विशेष पर टाउन हॉल मीटिंग व ब्लड डोनेशन आदि। इससे भी
युवा वर्ग में पार्टी के फैलाव व विस्तार को मदद मिलेगी।
कांग्रेस
के सामाजिक न्याय व सशक्तीकरण समूह के इस संकल्प का सबसे पहला कदम केंद्र व
प्रांतीय सरकारों के बजट में एससी-एसटी सबप्लान को कानूनी मान्यता के साथ
पुन: शुरू करना है। महिला सशक्तीकरण के लिए संसद, विधानसभाओं व विधान
परिषदों में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का संवैधानिक संशोधन जल्द से जल्द
पारित हो और हर वर्ग की महिला को अनुपातिक आरक्षण का लाभ मिले।
एससी-एसटी,
ओबीसी व अल्पसंख्यक समुदायों की आवाज पुरजोर तरीके से उठाने, उनकी
समस्याओं पर फोकस करने व उनके नेतृत्व को उचित स्थान देने के लिए कांग्रेस
में 'सामाजिक न्याय सलाहकार परिषद' का गठन हो, जो कांग्रेस अध्यक्ष को इस
बारे सुझाव दे सके।
कांग्रेस कार्यसमिति, प्रदेश व जिला कांग्रेस
कमेटीज की हर छह महीने में एक बैठक एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक व महिला
मुद्दों पर केंद्रित हो। वहीं जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने
की मांग को लेकर कांग्रेस एक निर्णायक संघर्ष करेगी और पिछड़े वर्गो को
उनका अधिकार दिलवाएगी।
इस चिंतन शिविर में 'किसान व खेत मजदूर समूह'
ने राष्ट्रीय किसान ऋण राहत आयोग गठन कर कर्जमाफी से कर्जमुक्ति तक का
रास्ता तय किया जाने की मांग की है वहीं, कर्ज न लौटा पाने की स्थिति में
किसान के खिलाफ अपराधिक कार्यवाही और किसान की खेती की जमीन की कुर्की पर
पाबंदी लगाई जाए।
केंद्र सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी दे और किसान
की एमएसपी का निर्धारण सी2 प्लस 50 फीसदी के आधार पर हो, यानि एमएसपी
निर्धारण करते समय किसान को 'कॉस्ट ऑफ कैपिटल व 'जमीन का किराया' जोड़कर 50
प्रतिशत अधिक दिया जाए।
खेती के पूरे क्षेत्र का बीमा किया जाए व
'नो प्रॉफिट, नो लॉस' के सिद्धांत पर बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक
क्षेत्र की कंपनियों की बीमा कंपनियां करें। किसान कल्याण के लिए यह आवश्यक
है कि कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र के अनुरूप एक अलग 'कृषि बजट' संसद
में प्रस्तुत हो, जिसमें किसान कल्याण की सभी परियोजनाओं का लेखा-जोखा दिया
जाए।
कृषि उपज मंडियों की संख्या मौजूदा 7,600 से बढ़ाकर 42,000 की
जाए, ताकि हर 10 किलोमीटर पर एक कृषि उपज मंडी की स्थापना हो और मनरेगा
मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी के बराबर लाकर सालाना औसत आमदनी को 18,000 रुपये
किया जाए।
कांग्रेस के आर्थिक समूह ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद
भारत के लिए 'नव संकल्प आर्थिक नीति' बनाने व लागू करने की कवायद की है।
उदारीकरण के 30 वर्षो के बाद तथा घरेलू व वैश्विक परिस्थितियों का संज्ञान
लेने के लिए स्वाभाविक तौर से आर्थिक नीति में बदलाव की आवश्यकता जरूरी है।
इस 'नव संकल्प आर्थिक नीति' का केंद्र बिंदु रोजगार सृजन हो। आज के भारत
में 'जॉबलेस ग्रोथ' को कोई स्थान नहीं हो सकता।
भाजपा सरकार द्वारा
70 साल में बनाई गई सरकारी संपत्तियों का अंधाधुंध निजीकरण अपनेआप में
खतरनाक है। यह और गंभीर हो जाता है, जब भाजपा सरकार पब्लिक सेक्टर कंपनियों
को बदनीयति से औने-पौने दाम पर अपने चंद और चहेते पूंजीपति मित्रों को बेच
रही है। न केवल दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों का आरक्षण खत्म हो रहा है,
बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कुछ लोगों का एकाधिकार स्थापित करने का
प्रयास किया जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस अंधाधुंध निजीकरण का
घोर विरोध करेगी।
'राजनैतिक समूह' ने संकल्प लिया है कि सभी
कांग्रेसजन गांधीवादी मूल्यों व नेहरू जी के आजाद भारत के सिद्धांत की
रक्षा के लिए हर हालत में संघर्षरत रहेंगे। कांग्रेस संगठन के साथ-साथ
राष्ट्रीय कांग्रेस सभी सामाजिक, सांस्कृतिक, गैर सरकारी संगठनों, ट्रेड
यूनियन, थिंक टैंक व सिविल सोसायटी समूहों से व्यापक संपर्क और संवाद
स्थापित करेगी। वहीं कांग्रेस सभी समान विचारधारा के दलों से संवाद व
संपर्क स्थापित करने को कटिबद्ध है और राजनैतिक परिस्थितियों के अनुरूप
जरूरी गठबंधन करने के रास्ते खुले रखेगी।
इसके अलावा, राहुल गांधी
ने रविवार को यह स्वीकार किया कि कांग्रेस ने आम आदमी से अपना संबंध खो
दिया है और इसे लोगों तक पहुंचकर इसे ठीक करना होगा। उन्होंने कहा, "हमें
लोगों के साथ अपने संबंध को पुनर्जीवित करना होगा और यह स्वीकार करना होगा
कि यह टूट गया था। हम इसे मजबूत करेंगे, यह किसी शार्टकट से नहीं होगा,
इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है।" साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों से संबंध
मजबूत करने के लिए कांग्रेस अक्टूबर में राष्ट्रव्यापी भारत जोड़ा यात्रा
निकालेगी।
--आईएएनएस
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