उदयपुर। मेवाड़ के 55वें एकलिंग दीवान महाराणा अमरसिंह प्रथम की 464वीं जयंती महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर की ओर से मनाई गई। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में मंत्रोच्चारण के साथ उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर दीप प्रज्जवलित किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि महाराणा अमरसिंह प्रथम का जन्म चौत्र शुक्ल सप्तमी, विक्रम संवत 1616 (वर्ष 1559 ई.) को हुआ था। और उनका राज्याभिषेक विक्रम संवत 1653 माघ शुक्ल एकादशी (वर्ष 1597) को चावण्ड में हुआ था महाराणा बाल्यावस्था से ही अपने पिता महाराणा प्रताप के साथ रहकर मेवाड़ की पहाड़ियों, घाटियों एवं पहाड़ी मार्गों से खूब परिचत हो गये थे, इसी कारण महाराणा ने अनेक पहाड़ी लड़ाइयां लड़ी। सलीम ने मेवाड़ पर दो बार चढ़ाई की परन्तु उसे कोई सफलता नहीं मिली। महाराणा अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिये मुगलों से बहुधा लड़ते रहे और उनकी अधीनता कभी स्वीकार नहीं की।
कर्नल टॉड ने महाराणा अमर सिंह को महाराणा प्रताप और मेवाड़ कुल का सुयोग्य वंशधर बताया। महाराणा बलिष्ठ और पराक्रमी थे। वह उनके सद्गुणों के कारण अपने सरदारों और प्रजा में बहुत ही न्याय प्रिय थे। उनका व्यक्तित्व सभी के साथ मिलनसार था।
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