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उदयपुर। भाजपा में जिलाध्यक्षों के चुनावों के बाद अब सभी जिलों में कार्यकारिणी बनाने को लेकर कश्मकश शुरू हो गई है। भाजपा आलाकमान को ज्यादातर जिलों से यही फीडबैक मिला है कि जिलाध्यक्ष और विधायक मिलकर ही कार्यकारिणी को बनाते हैं। ऐसे में पार्टी के लिए सालों से काम करने वाले कार्यकर्ताओं को वंचित रहना पड़ता है और वे पार्टी में सक्रिय भूमिका नहीं निभा सकते हैं।
ऐसे प्रदेश स्तर पर संघ व वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने लोगों से सुझाव भी मांगे हैं कि कैसे सभी लोगों को पार्टी में एक साथ जोड़े रखा जा सकता है। इस पर तमाम विधायकों, वर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों से राय ली जा रही है। हालही जयपुर में हुई बैठक में भाजपा नेताओं ने बताया कि जिलों में कार्यकारिणी बनाने में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ होती है।
इस बैठक में शामिल होने वाले पदाधिकारी बताते हैं कि लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि कार्यकारिणी में भले ही जिलाध्यक्ष व विधायक के पसंदीदा लोग शामिल हों, लेकिन दूसरे गुट वालों को भी प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए, तभी पार्टी में लोकतंत्र कायम रहेगा। उम्मीद यह जताई जा रही है कि इस बार सभी जिलों में प्रदेश स्तर पर कोर कमेटी की सहमति के बाद ही जिला कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी।
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