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टोंक। देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के मतदान के दिन हुए उपद्रव, आगजनी और एसडीएम को थप्पड़ मारने के आरोपों में गिरफ्तार निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की सोमवार को एससी-एसटी विशेष न्यायालय में पेशी हुई। हालांकि, न्यायाधीश के तबादले और नए जज के कार्यभार ग्रहण न करने के कारण चार्ज बहस नहीं हो सकी। अब अदालत ने बहस के लिए 5 मई की तारीख तय की है।
दरअसल, 13 नवंबर को हुए देवली-उनियारा उपचुनाव के मतदान के दौरान समरावता गांव के लोगों ने अपने गांव को उनियारा उपखंड में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। इस दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी ग्रामीणों के समर्थन में धरने पर बैठ गए थे। आरोप है कि मतदान बहिष्कार के बावजूद तीन ग्रामीणों के जबरन वोट डलवाए जाने पर आक्रोशित होकर मीणा ने वहां मौजूद एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
14 नवंबर को पुलिस ने नरेश मीणा को धरना स्थल से गिरफ्तार किया था और 15 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया था। इस मामले में पहले उनियारा और टोंक डीजे कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जहां से नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी। बाद में उनके वकीलों ने प्रार्थना पत्र लगाकर मामला एससी-एसटी न्यायालय में स्थानांतरित करवा दिया था।
इस प्रकरण में केस नंबर 166 और 167 के तहत आरोप तय करने को लेकर 19 अप्रैल को बहस होनी थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के चलते यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में केस नंबर 166 पर चार्ज बहस पूरी कर ली गई थी, हालांकि आदेश पारित नहीं हुए। वहीं केस नंबर 167 पर बहस शेष थी, जिसके लिए 28 अप्रैल की तारीख तय की गई थी।
सोमवार को बूंदी जेल में बंद नरेश मीणा को पुलिस सुरक्षा में कोर्ट लाया गया, मगर न्यायाधीश के स्थानांतरण और नए न्यायाधीश के कार्यभार नहीं संभालने के चलते बहस एक बार फिर टल गई। साथ ही 23 अप्रैल को पूरी हुई बहस पर भी आदेश नहीं मिल सके। कोर्ट ने अब अगली सुनवाई और बहस के लिए 5 मई की तारीख निर्धारित की है।
इस दौरान नरेश मीणा की ओर से जयपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील फतेह सिंह मीणा, आरडी गुर्जर सहित कई अन्य वकील अदालत में मौजूद रहे।
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