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टोंक। बनास नदी में डूबने से 8 युवकों की मौत के बाद कांग्रेस महासचिव और टोंक विधायक सचिन पायलट मंगलवार को टोंक पहुंचे। उन्होंने सआदत अस्पताल में मृतकों के परिजनों से मुलाकात की। दुख जताया। सरकार से पीड़ित परिवारों को अधिक से अधिक मुआवजा देने की मांग की। पायलट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि हादसे वाली जगहों को चिह्नित कर सील किया जाए। ताकि भविष्य में कोई और हादसा न हो।
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जयपुर से 11 युवक टोंक घूमने आए थे। मंगलवार को बनास नदी में नहाते समय सभी डूब गए। सूचना मिलते ही प्रशासन मौके पर पहुंचा। राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। 8 युवकों की मौत हो गई। 3 को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
सचिन पायलट ने कहा कि यह हादसा बेहद दुखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना है। प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हादसे पर दुख जताया। कहा कि यह घटना अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। शोकाकुल परिजनों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। सरकार को चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी हादसे को हृदयविदारक बताया। सरकार से पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद देने की मांग की।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने वाहन का टायर नहीं बदलेने पर , कंपनी पर 15 हजार रुपए का लगाया हर्जाना
टोंक। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, टोंक में बीनारानी जैन ने के.पी. ऑटो मोबाइल प्राइवेट लिमिटेड और मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के खिलाफ परिवाद दायर किया था। जिसमे वाहन का टायर नहीं बदलने पर
आयोग ने फैसला सुनाते हुए कंपनियों को दोषी माना और 15 हजार रुपये हर्जाना व 5500 रुपये टायर की कीमत ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया। परिवाद में बीनारानी जैन ने बताया कि 24 जून 2021 को नेक्सा एक्सएल वाहन (नंबर आरजे 14 यूएच 0872) खरीदा था। खरीद के समय कंपनी ने टायर में पंचर को छोड़कर बाकी सभी गारंटी देने की बात कही थी। वाहन खरीदने के 15-20 दिन बाद ही टायर में रोड कट लग गया। इसकी सूचना कंपनी को दी गई। कंपनी ने टायर बदलने के लिए 1/3 राशि जमा कराने को कहा। बिना राशि लिए टायर बदलने से मना कर दिया। मजबूरी में बीनारानी को 5500 रुपये खर्च कर नया टायर लगवाना पड़ा।
बीनारानी ने कई बार कंपनी से संपर्क किया, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। 1 नवंबर 2021 को रजिस्टर्ड नोटिस भी भेजा, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे उन्हें मानसिक और आर्थिक पीड़ा हुई।
आयोग ने पाया कि कंपनी ने गारंटी के बावजूद टायर नहीं बदला। टायर बदलने के बदले 1/3 राशि मांगना अनुचित व्यापार व्यवहार है। आयोग ने कंपनियों को आदेश दिया कि वे 5500 रुपये टायर की कीमत 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 30 दिन में लौटाएं। साथ ही मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10 हजार रुपये और परिवाद व्यय के 5 हजार रुपये, कुल 15 हजार रुपये भी 30 दिन में अदा करें।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आदेश की पालना नहीं करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 72 के तहत तीन साल तक की सजा या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। आदेश पीठासीन अधिकारी प्रशांत शर्मा, सदस्य अभिषेक शर्मा और लीला भण्डारी ने सुनाया।
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बस में वृद्धजन योजना का लाभ नहीं देने पर निगम पर लगाया 8 हजार रुपए का जुर्माना
टोंक। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग टोंक ने राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम पर 8 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह आदेश रामदेव चौधरी की ओर से दायर परिवाद पर दिया गया। रामदेव ने परिवाद में शिकायत की थी कि 25 दिसंबर 2019 को उन्होंने अपनी पत्नी के साथ टोंक से देवली तक बूंदी डिपो की बस (RJ 08 PA 4525) में यात्रा की थी। इस दौरान परिचालक ने वृद्धजन योजना के तहत स्मार्ट कार्ड दिखाने पर 80 रुपए की जगह 60 रुपए किराया लिया।
रामदेव ने उसी दिन देवली से टोंक लौटते समय कोटा डिपो की बस (RJ 09 PA 4979) में यात्रा की। इस बार परिचालक ने स्मार्ट कार्ड दिखाने के बावजूद 80 रुपए पूरे किराए की वसूली की। रामदेव ने इसे अनुचित व्यापार प्रथा और सेवा में कमी बताया। उन्होंने मानसिक, शारीरिक और आर्थिक पीड़ा का हवाला देते हुए 50 हजार रुपए हर्जाने और 10 हजार रुपए परिवाद खर्च की मांग की।
विपक्षीगण ने जवाब में कहा कि वृद्धजन योजना का लाभ केवल स्मार्ट कार्ड दिखाने पर ही दिया जाता है। वापसी यात्रा में रामदेव ने कार्ड नहीं दिखाया, इसलिए पूरी राशि ली गई। आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और दस्तावेजों का अवलोकन किया।
आयोग ने माना कि रामदेव ने दोनों यात्राओं में स्मार्ट कार्ड दिखाया था। पहली यात्रा में छूट दी गई, दूसरी में नहीं। यह सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार है। आयोग ने आदेश दिया कि निगम रामदेव को 20 रुपए अतिरिक्त वसूली की राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 30 दिन में लौटाए। साथ ही मानसिक पीड़ा के लिए 5 हजार रुपए और परिवाद खर्च के 3 हजार रुपए, कुल 8 हजार रुपए अदा करे।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आदेश की पालना नहीं करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 72 के तहत तीन साल तक की सजा या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह आदेश 5 जून 2025 को अध्यक्ष प्रशांत शर्मा, सदस्य अभिषेक शर्मा और लीला भंडारी की पीठ ने सुनाया
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