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पंच कल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव की आमन्त्रण पत्रिका चढ़ाई मन्दिर में 07 नवम्बर से 12 नवम्बर तक पंचकल्याण महोत्सव का आयोजन

Panch Kalyan Pratishtha Mahotsav invitation cards were offered at the temple. Panch Kalyan Mahotsav will be held from November 7th to 12th. - Tonk News in Hindi

टोंक। सकल दिगम्बर जैन समाज टोंक व श्री पार्श्वनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव समिति टोंक द्वारा गुरूवार को प्रात: पुरानी टोंक स्थित पांचों मन्दिर में पंच कल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव की आमन्त्रण पत्रिका को गाजे-बाजे के साथ मन्दिरजी में चढाई गई। समिति के मुख्य संयोजक प्रकाश सोनी ने बताया कि राजकीय अतिथि आचार्य वात्सल्य वारिधि श्री वर्धमान सागर महाराज के आशीर्वाद व ससंघ के सानिध्य से यह कार्यक्रम सम्पन्न होगा। इसी भावना के साथ नसियों में पंच कल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव की आमन्त्रण पत्रिका का विमोचन किया गया। पंचकल्याण समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश बाकलीवाल के बताया कि कार्यक्रम के जन्माभिषेक के दिन विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें 23 हाथी, 23 अश्व रथ होंगे। कार्यकम में देशभर से धर्मावलम्बी आएंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के प्रतिष्ठाचार्य संहितासुरी पण्डित हंसमुख जैन, धरियावद व युवा मनीषी पण्डित मनोज कुमार शास्त्री होंगे। इसके अतिरिक्त पण्डित प्रमोद जी शास्त्री, प. राजीव शास्त्री, प. राजकुमार शास्त्री व प. अनिल शास्त्री होंगे। पंचकल्याण समिति के महामंत्री शैलेन्द्र चौधरी ने बताया कि 07 नवम्बर से 12 नवम्बर तक पंचकल्याण महोत्सव का आयोजन होगा। सात नवम्बर को ध्वज बंधन, आठ नवम्बर को गर्भ कल्याणक, नो नवम्बर को जन्म कल्याणक, 10 नवम्बर को तप कल्याणक, ग्यारह नवम्बर को केवलज्ञान कल्ल्याणक व बारह नवम्बर को मोक्षकल्याणक का आयोजन होगा।
उन्होंने बताया कि उक्त कार्यक्रम को राजकीय अतिथि वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागरजी महाराज के सानिध्य व आशीवार्द से मंगलयय भावना के साथ सम्पन्न कराया जाएगा। पंच कल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव की आमन्त्रण पत्रिका का विमोचन कार्यक्रम में अजय सोगाणी, विकम जैन एडवोकेट, पदम जैन, पदम अलियारी, रमेश छाबडा, प्रेमचन्द सोगाणी, मनोज सोनी, चेतन बिलासपुरिया, देवराज काला, ज्ञान चन्द बन्थली, पंकज छाबडा, कमल सर्राफ, विकास अत्तार, सिद्वार्थ जैन, धर्म चन्द, बीना जैन, मंजुषा आदि उपस्थित थे।
भगवान के दर्शन से वास्तविक आत्मा के दर्शन होते हैं : आचार्य वर्धमान सागर
आगामी 3 नवंबर को होगा पीछी परिवर्तन तथा 7 से 12 नवंबर से होगा पंच कल्याणक टोंक। आत्मा पर कर्मों का आश्रव होकर आत्मा कर्मों के बंधन में है, इस कारण संसार में परिभ्रमण होता है। संयम दीक्षा धारण करना ही सही मार्ग है। इस को अपनाकर वैराग्य धारण कर मनुष्य जीवन सार्थक करने का पुरुषार्थ आचार्य धर्म सागर जी महाराज ने किया। एक संस्मरण में आचार्य वर्धमान सागर जी ने बताया कि आचार्य धर्म सागर जी महाराज मुनि अवस्था में महावीर जी पधारे, तब द्वितीय पट्टाधीश आचार्य शिव सागर जी थे, जब शिव सागर जी महाराज का स्वास्थ्य खराब हुआ, तब अन्य साधुओं ने पूछा कि 11 प्राणियों ने दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया। उनका क्या होगा? तब शिव सागर जी ने कहा कि मैं स्वस्थ हो जाऊंगा तो मैं दीक्षा दूंगा और अगर मैं स्वस्थ नहीं होता तो मुनि धर्म सागर जी महाराज इन 11 प्राणियों को दीक्षा देंगे। आचार्य शिव सागर जी की भावना अनुरूप आचार्य शिव सागर जी की अनायास समाधि हो जाने से धर्मसागर जी महाराज तृतीय पट्टाधीश नियुक्त किए गए और उसी दिन 24 फरवरी 1969 फागुन शुक्ल अष्टमी को 11 व्यक्तियों को दिगंबर दीक्षा दी, जिसमें 6 मुनिराज तीन आर्यिका माताजी तथा दो छुल्लक दीक्षाएं दी। सबसे कम उम्र में हमारी भी मात्र 19 वर्ष में सीधे मुनि दीक्षा हुई। यह मंगल देशना टोंक नगर की धर्म सभा में आचार्य धर्म सागर सभागार के लोकार्पण अवसर पर आयोजित सीकर से लाइव प्रसारण पर प्रगट की। राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य ने आगे बताया कि आचार्य पद के पूर्व भी अनेक नगरों में समाज ने धर्म सागर जी को आचार्य पद देना चाहा, किंतु उन्होंने स्पष्ट मना किया कि हम धर्म प्रभावना तीर्थ वंदना के लिए पृथक बिहार कर रहे हैं। हमारे संघ परंपरा के आचार्य श्री शिव सागर जी ही है। धर्म सागर जी महाराज ने अनेक दीक्षाएं दी, अनेक नगरों में चातुर्मास के बाद सन 1987 वैशाख माह में सीकर पधारे सीकर ग्रीष्म ऋतु में आपने अघोषित संलेखना के अंतर्गत प्रतिदिन आहार को कम करते रहे और आपके समाधि हो गई। आज उनकी पुनीत स्मृति में आचार्य धर्म सागर सभागार का लोकार्पण हुआ। इसी पार्श्वनाथ भवन में 4 माह रुके प्रतिमाह 8 द्मद्व बिहार कर रात्रि विश्राम कर अगले दिन आहार लेकर सीकर आते थे। जिस दिन आपकी दीक्षाहुई उस दिन धर्मनाथ भगवान का कल्याणक तथा समाधि के दिन भी भगवान का कल्याणक दिवस था। आचार्य ने बताया कि भगवान के दर्शन से आत्म दर्शन होते हैं, आत्म दर्शन ही वास्तविक दर्शन है आचार्य श्री शांति सागर परम्परा के सभी आचार्य बाल ब्रह्मचारी है। सन 1974 देहली में भगवान महावीर स्वामी के 2500 निर्वाण महोत्सव में दिगम्बर समाज का प्रमुख आचार्य होकर प्रतिनिधित्व किया। कभी भी दिगम्बर समाज के हितों से समझौता नहीं किया। आपने सीकर समाज को आचार्य धर्म सागर जी के समाधि स्थल के नवीनीकरण किए जाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम संचालक कमल सराफ और समाज प्रवक्ता पवन कंटान अनुसार टोंक नगर में 7 नवंबर से 12 नवंबर तक होने वाली पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के पत्रिका का विमोचन पुरानी टोंक मंदिर के पदाधिकारी एवं आचार्य ने किया। पंचकल्याणक समिति के पदाधिकारी ने संपूर्ण जैन समाज को कार्यक्रम में सादर आमंत्रित किया। गुरूवार को आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज के ससंघ के सानिध्य में श्रेष्ठी मोहनलालजी जैन पुना छामुनिया, टोंक को आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज वर्षायोग समिति ने वात्सल्यभक्त की उपाधि से नवाज कर सम्मान कर अभिनंदन पत्र भेंट किया। आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज की आहार चर्या प्रेमचंद, अशोक कुमार जैन झीराना वाले महावीर नगर में भी हुई। आचार्य वर्धमान सागर जी सहित 34 साधुओं का पीछी परिवर्तन 3 नवंबर को श्री आदिनाथ नसिया में होगा।

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Web Title-Panch Kalyan Pratishtha Mahotsav invitation cards were offered at the temple. Panch Kalyan Mahotsav will be held from November 7th to 12th.
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