टोंक। लावा ग्राम स्थित जंगजीतेश्वर महादेव मंदिर में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दूसरे दिन व्यासपीठ से पंडित रघुनंदन शर्मा ने विधुर मैत्री का प्रसंग सुनाया। जिसे सुनकर श्रद्धालू भाव विभोर हो गए। बुधवार को पंडिात रघुनंदन शर्मा ने विधुर मैत्री का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि ईश्वर अनन्य प्रेम के वशीभूत हैं, वो सदैव प्रेम के बंधन में बंधे रहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने इसी अनन्य प्रेम के वशीभूत होकर दुर्योधन के राजसी ठाठ-बाठ वाले वैभवपूर्ण आमंत्रण को ठुकराते हुए अपनी अनन्य भक्त विधुरानी के घर में भोजन करने का आमंत्रण स्वीकारा था। विधुरानी श्रीकृष्ण की अनन्य भक्ति में डूब जाने के कारण जब वो श्रीकृष्ण को भोजन में केले खिला रही थी तो वह ये भी भूल गई की वो कैले के छिलके तक प्रभु को खिलाने लगी और प्रेम में वशीभूत भगवान भी उन केलों के छिलकों को बड़े प्रेम के साथ ग्रहण करने लगे। पंडित रघुनंदन शर्मा ने बताया कि धर्म की जड़े सदैव हरी रहती है। विधुर मैत्री का प्रसंग सुनकर कथा पाण्डाल में मौजूद श्रद्धालु भाव विभोर हो भगवान की जय जयकार करने लगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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