उच्च स्तर जांच से हो सकता है खुलासा ये भी पढ़ें - सैंकड़ों सालों से सीना ताने खड़ा है सोनार
अगर इन शावकों की मौत की
कारणों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो दोनों शावकों की मौत का असल कारण
पता चल सकेगा। संदेह इसलिए है, क्योंकि दोनों शवों के शरीर पर छुटपुट चोट
के निशान हैं। इनके अलावा कोई अन्य निशान हमले करने जैसे नहीं है।
इस
प्रकार पूर्व में भी कई बाघों की मौत का कारण शिकारियों द्वारा जहरीला
खाना खिलाने से होना सामने आया है। दोनों शावकों की मौत का जिम्मेदार बाघ
ही नहीं वन विभाग अधिकारियों की जंगल में मॉनिटरिंग नहीं होना भी एक अहम
बात है जहां खरबों रुपए रणथंभौर नेशनल पार्क में विचरण करने वाले वन्य
जीवों की मॉनिटरिंग के लिए खर्च किया जाता है लेकिन इन शावकों की मौत के
बाद साफ जाहिर है कि आखिर किस प्रकार वन अधिकारी वन्य जीवों की मॉनिटरिंग
करते होंगे। 17 अप्रैल की शाम को मौत की घटना की सूचना के बाद अब तक वन
अधिकारी मीडिया के सामने चुप्पी साधे नजर आ रहे हैं और कोई भी कुछ भी बोलने
को तैयार नहीं यहां तक कि बाघों का पोस्टमार्टम तक अब तक नहीं किया गया और
मीडिया से नजरें चुरा रहे है। आखिर किस समय इन दोनों शावकों का
पोस्टमार्टम किया जाएगा यह सूचना नहीं की जा रही इसमें साफ जाहिर है कि खुद
वन अधिकारी अपनी गलतियों को छुपाने के लिए मीडिया से नजरें चुराते नजर आ
रहे हैं और इसी के चलते एक माह में 3 बाघों की मौत हो चुकी।
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