पाली/जयपुर। शिष्या से दुष्कर्म के आरोप से घिरे शनिधाम के संस्थापक दाती महाराज न तो पाली स्थित आश्रम में है और ही दिल्ली में। दाती कहीं अंडरग्राउंड हो गया है? पिछले दिनों हुई पूछताछ में उसने दिल्ली क्राइम ब्रांच को सोमवार को उसे पेश होने को कहा था। अगर दाती सोमवार को भी क्राइम ब्रांच में पेश नहीं होता तो उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी जाएगी।
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ज्ञात हो कि शनिवार को क्राइम ब्रांच पाली के आलावास आश्रम पहुंची तो दाती और उसकी निदेशिका श्रद्धा उर्फ नीतू व अन्य आरोपी फरार थे।
बता दें कि दाती मदन राजस्थानी समेत 4 जनों पर 25 साल की एक युवती ने दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाने में दुष्कर्म, कुकर्म संबंधी गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया है। दिल्ली क्राइम ब्रांच मामले की जांच में जुटी है। पुलिस पीड़िता के बयान के आधार पर दाती के दिल्ली और पाली स्थित आश्रम के सीन ऑफ क्राइम का मिलान कर रही है।
मेघवाल समुदाय में हुआ था दाती का जन्म, ढोलक बजाकर पालता था पेट
दाती का जन्म 10 जुलाई को राजस्थान के पाली जिले के अलवस गांव में मेघवाल समुदाय में हुआ था। दाती महाराज का नाम उस समय मदन था. उनका परिवार ढोलक बजाकर अपना पेट पालता था और मदन के पिता देवाराम भी ढोलक बजाने का काम ही करते थे।
मां-बाप की मौत के बाद दिल्ली में चाय की दुकान पर की मजदूरी
दाती मदन की मां की मौत उसके जन्म के 4 महीने बाद ही हो गई थी। उसके पिता के कंधों पर बच्चों की जिम्मेदारी थी। लेकिन उसके पिता देवाराम का साया भी उसके सिर से मां की मौत के कुछ साल बाद ही उठ गया। इसके बाद मदन अकेला रहा गया। वह गांव के एक शख्स के साथ दिल्ली आ गया और चाय की दुकान में दिहाड़ी मजदूरी करने लगा। मजदूरी के अलावा मदन इधर-उधर के छोटे-मोटे काम भी किया करता था। इसके बाद मदन ने कैटरिंग का काम शुरू किया। कैटरिंग का काम अच्छा चला। उसने 1996 तक दिल्ली में कैटरिंग का काम किया।
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