मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि सन 1857 में सुगाली माता के आशीर्वाद और ठाकुर
कुशाल सिंह की प्रेरणा ने सैनिकों को आगे बढने के लिए प्रेरित किया और
अंग्रेजों को बार-बार हार का सामना करना पड़ा। जब अंग्रेजों को लगा कि
सुगाली माता के चमत्कार के कारण वे हार रहे हैं तो उन्होंने सुगाली माता की
प्रतिमा को माउंट आबू में रखवा दिया। बाद में 1908 में इसे अजमेर के
राजपूताना म्यूजियम में रखा गया तथा आजादी के बाद पाली के राजकीय संग्रहालय
में दस मस्तक और 54 हाथों वाली यह अद्भुत प्रतिमा रखी गई है, लेकिन वह मूल
प्रतिमा खंडित होने के कारण हुबहू वैसी ही नई प्रतिमा बनाकर आज उस घटना के
160 साल बाद पैनोरमा में स्थापित की गई है। ये भी पढ़ें - खौफ में गांव के लोग, भूले नहीं करते ये काम
सुगाली माता से प्रेरणा ले नारी शक्ति
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