देसूरी (पाली)। अरावली पर्वत के बीचोंबीच स्थित सूरज कुंड से निकलने वाली देसूरी नदी का डाकण नदी क्यों पड़ा। पिछले कई सालों से ग्रामीणों के मन में यह प्रश्न उभर रहा था कि आखिर इस नदी का नाम डाकण नदी क्यों पड़ा। नाम बहुत अजीब है। राजस्थान में डाकण तो एक गाली है। हो सकता है कालांतर में यह नदी कई लोगों को लील गई हो। इसलिए इसका नाम डाकण पड़ा हो।
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कुछ पुराने लोगों का मानना है कि यह नदी अचानक भयंकर हो जाती है। कई लोग इस
नदी में बह चुके हैं। नदी के इस भयंकर रूप और कई जिंदगी खाने पर मन की
कल्पना से नदी का नाम डाकण प्रचलित हो गया। हालांकि इसका कहीं कोई
ऐतिहासिक संदर्भ नहीं मिला है। इसी नदी के एक धड़े का नाम डाकण धड़ा भी है।
देसूरी नदी का उद्गम वैसे तो अरावली की तलहटी में सूरज कुंड से है। मगर इस
नदी के ऊपर सेलीनाल बांध बनाने के बाद सूरज कुंड से नदी का पानी पहले बांध
में आता है। जब बांध ओवरफ्लो होता है तब पानी देसूरी नदी में जाता है।
देसूरी नदी का वास्तविक नाम क्या है। इसकी सही जानकारी तो किसी के पास
नहीं है। मगर कुछ लोगों को मानना है कि यह नदी डाकण नदी के नाम से प्रसिद्ध
है।
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