पाली। पाली के विशिष्ठ न्यायालय पॉक्सो नम्बर 3 में बुधवार को 17 साल पुराने गैंगरेप के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया। 60 वर्षीय आरोपी, जाकिर हुसैन पुत्र नूर मोहम्मद निवासी शिवपुर भीलवाड़ा, को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त घोषित कर दिया गया।
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सूत्रों के मुताबिक 9 जून 2006 को केशव नगर निवासी एक युवती ने महिला पुलिस थाना पाली में जाकिर हुसैन और तीन अन्य के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज करवाया था। तीन आरोपियों को 2008 में न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया था, लेकिन जाकिर हुसैन पाली छोड़कर फरार हो गया, जिससे पुलिस उसे 17 साल तक ढूंढ नहीं पाई।
नवम्बर 2023 में, महिला पुलिस थाना पाली की टीम ने धरपकड़ अभियान के दौरान जाकिर हुसैन को गिरफ्तार कर पाली न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया और वह तीन महीने तक जेल में रहा।
बुधवार को जब न्यायालय द्वारा जाकिर हुसैन को दोषमुक्त घोषित किया गया, तो वह फूट-फूट कर रोने लगा। इस मामले में आरोपी की ओर से अधिवक्ता अरिहन्त चौपड़ा, प्रवीण साहू और वीरेन्द्र सिंह द्वारा पैरवी की गई।
यह मामला न केवल कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि न्यायिक व्यवस्था में संदेह का लाभ कितना महत्वपूर्ण होता है। न्यायालय के इस फैसले ने 17 साल पुराने मामले को आखिरकार एक अंत तक पहुंचाया।
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