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-लोक सभा में सांसद बेनीवाल के सवाल पर दिया जवाब
नागैर (जयपुर)। गुरुवार को लोक सभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग से जुड़े सवाल पर जल शक्ति मंत्रालय ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने से इनकार कर दिया। सांसद के जवाब में केंद्र ने बताया की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट नवंबर 2017 में मूल्यांकन के लिए सीडब्लूसी को प्रस्तुत की गई थी, तथापि ईआरसीपी की मूल्यांकन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है क्योंकि अंतर्राज्यीय नदी बेसिन में 75 प्रतिशत विश्वसनीय उपज के लिए योजना बनाने वाले प्रचलित मानदंडों की तुलना में परियोजना की योजना 50 प्रतिशत विश्वसनीय उपज पर बनाई गई है। इसलिए यह परियोजना जल शक्ति मंत्रालय की राष्ट्रीय परियोजना स्कीम के अंतर्गत शामिल किए जाने के लिए पात्र नही है। मंत्री ने जवाब में यह भी कहा की नदियों को आपस में जोड़ने के लिए विशेष समिति ने दिसंबर 2022 में हुई 20 वी बैठक में नदियों को जोड़ने की राष्ट्रीय परिप्रेरक्ष्य योजना के एक भाग के रूप में संशोधित पार्वती -कालीसिंध -चंबल लिंक योजना पर विचार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके अतिरिक्त 75 प्रतिशत निर्भरता पर जल उपलब्धता के अनुरूप संशोधित पीकेसी लिंक के चरण -I की देश में प्राथमिकता वाली अंतर लिंकिंग परियोजनाओं में से एक के रूप में घोषणा की गई है।
जब वादा ईआरसीपी का है तो इंटर लिंकिंग क्यों सांसद हनुमान बेनीवाल ने की पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने की मांग को लेकर वो लोक सभा में कई बार मुद्दा उठा चुके है। सांसद ने कहा 24 मार्च 2022 को लोक सभा में जल शक्ति मंत्री ने इस विषय को लेकर यह कहा की राजस्थान सरकार ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए निर्धारित प्रारूप में केंद्र को प्रस्ताव नही भेजा और अब कह रहे है की यह परियोजना निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं कर रही है। सांसद ने कहा की आज राजस्थान के 13 जिलों से जुड़ी अत्यंत महत्पूर्ण पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात कहकर केंद्र का मुकर जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।बेनीवाल ने कहा की भाजपा को भी इस मामले में राजनीति नही करनी चाहिए और सरकार का यह जवाब इंगित कर रहा है कि भारत सरकार ईआरसीपी के मामले में केवल बयानों तक सीमित है।
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