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कोटा | कोटा के भीमगंजमंडी इलाके से एक दर्दनाक और रहस्यमयी घटना सामने आई है। रेलवे में कार्यरत 52 वर्षीय लोको पायलट अजय गुप्ता ने सोमवार शाम आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उन्होंने अपनी पत्नी को कमरे में बंद कर दिया और दूसरे कमरे में फांसी लगा ली। इस त्रासद घटना के पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
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घटना सोमवार शाम करीब 6 बजे की है। अजय गुप्ता अपने घर पर पत्नी के साथ मौजूद थे। बड़ा बेटा कोटा से बाहर नौकरी करता है, जबकि छोटा बेटा उस वक्त कोचिंग पढ़ने गया हुआ था। अचानक अजय ने अपनी पत्नी को एक कमरे में बंद कर बाहर से कुंडी लगा दी और खुद दूसरे कमरे में चले गए। कुछ ही देर में उन्होंने फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी।
पत्नी की चीख-पुकार सुनकर पड़ोसी दौड़े। घर का दरवाजा तोड़कर उन्होंने अजय को फंदे से उतारा और अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने साधी चुप्पी
परिवार पूरी तरह से शोक में डूबा है। अजय गुप्ता के आत्महत्या के कारणों को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। परिजनों ने मीडिया से बात करने से साफ इनकार कर दिया। पुलिस ने शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया, जहां मंगलवार को पोस्टमार्टम कराया गया।
भीमगंजमंडी थाना पुलिस के अनुसार, मामले की जांच की जा रही है। सुसाइड नोट जैसी कोई चीज़ अब तक बरामद नहीं हुई है। प्रारंभिक जांच में पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव या नौकरी से जुड़ी कोई बात सामने नहीं आई है।
ड्यूटी से लौटने के बाद गायब हो गया था अजय
सूत्रों के अनुसार, अजय गुप्ता रविवार रात मेवाड़ एक्सप्रेस लेकर आए थे। सोमवार सुबह उन्होंने रेलवे लॉबी पहुंच कर कोटा-इटावा पैसेंजर (19811) ट्रेन में ग्वालियर तक अपनी ड्यूटी लगवाई थी। दिलचस्प बात यह है कि ग्वालियर उनका ससुराल भी है। ड्यूटी लगाने के बाद वह अचानक कहीं चले गए और शाम 4 बजे के करीब घर लौटे।
यह पूरा घटनाक्रम एक गहरी उलझन की ओर इशारा करता है। एक अनुभवी लोको पायलट द्वारा इस तरह अचानक उठाया गया कदम और उससे पहले पत्नी को कमरे में बंद करना—इन दोनों तथ्यों ने मामले को और भी जटिल बना दिया है।
रेलवे और सहकर्मी स्तब्ध
रेलवे विभाग में अजय गुप्ता की छवि एक ईमानदार और अनुशासित कर्मचारी के रूप में थी। उनके सहकर्मियों के अनुसार वह बेहद शांत स्वभाव के थे और किसी प्रकार की परेशानी का उन्होंने कभी ज़िक्र नहीं किया।
रेलवे यूनियन के एक सदस्य ने कहा, "यह बहुत ही चौंकाने वाला है। अजय जैसे अनुभवी लोको पायलट का इस तरह जाना रेलवे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है।"
मानसिक स्वास्थ्य और नौकरी का दबाव?
भारत में रेल कर्मचारी, खासकर लोको पायलटों पर मानसिक दबाव को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। लंबे समय तक अकेले ड्यूटी, अनियमित समय, यात्रियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी, और पारिवारिक दबाव – इन सभी पहलुओं को मानसिक स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जाता रहा है।
हालांकि अजय गुप्ता के मामले में अब तक कोई ऐसा सीधा संकेत नहीं मिला है, लेकिन यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वह किसी गंभीर मानसिक या भावनात्मक संकट से गुजर रहे थे?
पुलिस जांच जारी, ससुराल पक्ष से भी हो सकती है पूछताछ
भीमगंजमंडी पुलिस ने फिलहाल आत्महत्या की धारा के तहत मामला दर्ज कर लिया है। घटनास्थल की फोरेंसिक जांच करवाई जा रही है। चूंकि अजय की ड्यूटी ग्वालियर तक लगवाई गई थी, और वह वहां नहीं गए बल्कि अचानक घर लौट आए, इसलिए पुलिस ससुराल पक्ष से भी पूछताछ कर सकती है।
थाना हेड कांस्टेबल जनक के अनुसार : "मामला संवेदनशील है। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिजनों के बयान के आधार पर अगली कार्यवाही की जाएगी।"
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आत्महत्या केवल एक ‘एक्ट’ नहीं है, यह कई असल मुद्दों, तनावों और अनकहे दर्दों का अंतिम सिरा होता है। जरूरी है कि हम समय रहते इन संकेतों को समझें—अपने परिवार, अपने सहकर्मियों और समाज के भीतर।
अगर आप या आपका कोई जानने वाला व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहा है, तो कृपया हेल्पलाइन से संपर्क करें:
iCall हेल्पलाइन: 9152987821 (सोम-शनिवार, सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक)मनोदर्पण – शिक्षा मंत्रालय की पहल: 8448440632
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