कोटा। तिरुपति मंदिर के प्रसाद में सोयाबीन तेल और वनस्पति घी की मिलावट के मामले ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। इसी के चलते कोटा में भी खाद्य सुरक्षा विभाग ने मंदिरों के बाहर बिकने वाले प्रसाद की जांच की। जांच के दौरान लिए गए 8 सेंपल में से 7 को अनसेफ पाया गया है।
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खाद्य सुरक्षा अधिकारी चन्द्रवीर सिंह जादौन ने बताया कि जांच में बेसन के लड्डू के 6 और एक मिल्क केक का सेंपल अनसेफ निकला। इनमें मैटेलिक येलो रंग और एक्स्ट्रा फेट (वनस्पति फेट) की मात्रा पाई गई है। इसके अलावा पॉम ऑयल और सोयाबीन के तेल का भी इस्तेमाल किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। लंबे समय तक इस प्रकार के अनसेफ प्रसाद का सेवन करने से कैंसर, पीठ की बीमारियाँ, ब्रेन हैमरेज और लकवा जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
जादौन ने बताया कि 24 और 25 सितंबर को खड़े गणेशजी मंदिर के बाहर स्थित दुकानों से बेसन के लड्डू के 6 सेंपल लिए गए थे। इसके साथ ही गोदावरी धाम मंदिर के बाहर लगी दुकानों से मावे का पेठा और मिल्क केक के दो नमूने लिए गए थे। इस जांच में केवल मावे के पेठे का सेंपल पास हुआ है, जबकि बाकी 7 सेंपल फेल हो गए हैं।
इसके अतिरिक्त, 26 सितंबर को पाटनपोल स्थित मथुराधीश जी मंदिर के बाहर भी गुलाब जामुन और मालपुए के सेंपल लिए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि जिन दुकानदारों के प्रसाद के सेंपल अनसेफ पाए गए हैं, उनके खिलाफ कोर्ट में परिवाद पेश किया जाएगा।
अधिकारी ने कहा कि इस प्रकार के मिलावटखोरी से आम जनता की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उपभोक्ताओं को सजग रहने की आवश्यकता है, ताकि वे ऐसे अनसेफ प्रसाद का सेवन न करें। यह जांच का मामला न केवल स्वास्थ्य, बल्कि धार्मिक भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए इस पर सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
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