जयपुर। मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में कोटा संभाग धीरे-धीरे मजबूती से उभर रहा है। हालांकि वर्तमान में कोटा में मधुमक्खी पालन शुरुआती दौर में है, यहां प्रतिवर्ष 3 से 3.5 करोड़ रुपए के शहद का उत्पादन किया जा रहा है। अनुकूल जलवायु के चलते कोटा संभाग में लगभग 375 मीट्रिक टन शहद का प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा है। राजस्थान सरकार की प्रमुख शासन सचिव, कृषि, नीलकमल दरबारी ने यह जानकारी दी।
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उन्होंने बताया कि कोटा में वर्ष 2003-2004 में मधुमक्खी पालन की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में इस क्षेत्र में 14,000 मधुमक्खी कॉलोनीज अथवा बॉक्स हैं, जिनमें प्रत्येक में 25 से 30 किलो शहद का उत्पादन होता है और इस प्रक्रिया में 400 से 450 किसान शामिल होते हैं। गत एक दशक से प्रत्येक वर्ष 1,500 से 2,000 मधुमक्खी के बॉक्स में वृद्धि हो रही है।
‘ग्राम’ कोटा में दी जाएगी मधुमक्खी पालन की जानकारी
कोटा के शिवपुरा स्थित आरएसी ग्राउंड्स में 24 मई से 26 मई तक आयोजित होने वाले ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) के दौरान विशेषज्ञों द्वारा कोटा संभाग के किसानों को मधुमक्खी पालन एवं इससे संबंधित जानकारी दी जाएगी। कृषि आजीविका में विविधता लाते हुए कृषि विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा तीन माह पूर्व मधुमक्खी पालन की परियोजना शुरू की गई थी। संभाग के अन्य जिलों को मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए प्रेरित करना इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है।
किसानों को दी जाती है सब्सिडी
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