कोटा। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की गई डायबिटीज की दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। मामले की शिकायत पर ड्रग कंट्रोलर ने रामपुरा अस्पताल से दवा का सैंपल लेकर स्टॉक में रखा माल फ्रीज कर दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
असल में यह टेबलेट पानी में नहीं घुल रही, जबकि आम तौर पर ऐसी टेबलेट 15 मिनट में घुल जानी चाहिए। टेबलेट काे तीन दिन तक पानी में डाले रखा, लेकिन यह नहीं घुली। संदेह जताया जा रहा है कि दवा में कंपोनेंट का अनुपात सही नहीं रहा होगा। इसलिए दवा घुल नहीं रही।
पुराने शहर निवासी हरीश जैन ने बताया कि पत्नी के डायबिटीज की दवा चलती
है। रामपुरा अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने ग्लिमेपिराइड,
पियोग्लिटाजोन और मेटर्फोमिन हायड्रोक्लोराइड (आरआई) टेबलेट लिखी और वहीं
के काउंटर से यह दवा निशुल्क ले ली। दवा लेने के एक दिन बाद पत्नी ने बताया
कि टेबलेट शौच में ज्यों की त्यों निकल गई। दूसरे दिन भी ऐसा ही हुई। बात
हैरान करने वाली थी, इसलिए डॉक्टर से बात की। उनकी सलाह पर यह टेबलेट पानी
से भरी एक कटोरी में डाली। 3 दिन तक यह टेबलेट पानी में नहीं घुली। इसके
बाद ड्रग कंट्रोलर को शिकायत की गई। उन्होंने सहायक औषधि नियंत्रक
देवेंद्र गर्ग को निर्देश दिए और कार्रवाई कराई।
सहायक औषधि नियंत्रक गर्ग सुबह ड्रग इंस्पेक्टर रोहिताश्व नागर व प्रहलाद
मीणा के साथ रामपुरा अस्पताल पहुंचे। टीम अस्पताल के स्टोर से दवा का सैंपल
लिया और प्रभारी को निर्देशित किया कि जांच रिपोर्ट आने तक इसका वितरण रोक
दें।
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