करौली। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई गई मनरेगा योजना का सरपंच, सचिव व अधिकारियों की लापरवाही, मॉनिटरिंग के अभाव और भ्रष्टाचार के चलते श्रमिकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
9 साल से मजदूरी के लिए भटक रहे मनरेगा श्रमिकों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप मनरेगा के मेहनताने की मांग की। मनरेगा श्रमिकों ने बताया कि मासलपुर के रूंधकापुरा भूरखेड़ा सहित दर्जनों गांव के श्रमिकों ने रूंधकापुरा सरपंच द्वारा 2009 से 2017 तक मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान नहीं करने आरोप लगाया है। श्रमिको का आरोप है कि भुगतान के लिए पोस्ट ऑफिस और बैंक जाते तो बैंक और पोस्ट ऑफिस के अधिकारी भी उन्हें बहाने बनाकर लौटा देते हैं। इस कारण सैकड़ों मजदूरों के करोड़ों रुपए अटके हुए हैं और अब अधिकारी मजदूरी का पैसा नहीं होने का बहाना बना रहे हैं। जब इस बाबत शिकायत कलेक्टर को सौंपी गई तो जिला कलेक्टर ने मामले में जिला परिषद सीईओ को तत्कालीन सरपंच सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे, लेकिन महीनों बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इससे मनरेगा के सैकड़ों गरीब मजदूरों का मेहनताना अटक गया है।
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