टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. जगमोहन मीणा ने बताया कि इस मशीन के अभाव में
रोगियों के कफ की जांच के लिए तीन दिन में सैम्पल लेकर एक कर्मचारी जयपुर
जाता था। जिसकी रिपोर्ट 8 दिन बाद आती थी। जिससे रोगी के उपचार में देरी
होती थी। मशीन के लगने से रोगियो को फायदा होगा। वही बाजार में इस जांच के 4
हजार रूपये देने पडते थे। जिसकी भी बचत रोगी को होगी। जिले में करीब 118
एमडीआर टीबी के रोगी और हजारो टीबी रोगी मौजूद है। ये भी पढ़ें - जेल जाने से बचाती हैं यह माता! चढ़ाते हैं हथकड़ी
गौरतलब है कि
प्रधानमंत्री मोदी 2025 तक टीबी रोग को जड़ से खत्म करना चाहते हैं। इसके
लिए चिकित्सा विभाग द्वारा करौली में सीबी नॉट मशीन लगना एक मील का पत्थर
साबित होगा।
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