जोधपुर।
शहर में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। लोगों पर सरे आम
फायरिंग होती है। नगर निगम की लापरवाही से जानलेवा हादसें हो रहे हैॆ।
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर यह टिप्पणी की है। साथ ही 5
जुलाई को जिला कलक्टर, पुलिस कमिश्नर, नगर निगम व जोधपुर विकास प्राधिकरण
आयुक्त को सुनवाई के दौरान पेश होने के लिए कहा है।वरिष्ठ न्यायाधीश गोविन्द माथुर व
न्यायाधीश विनीतकुमार माथुर की खण्डपीठ ने समाजसेवी महेन्द्र लोढ़ा की ओर
से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा,
शहर में कानून नाम की कोई चीज नहीं है। दूसरी
तरफ आम आदमी नाले में बहने से जान से हाथ धो रहा है, लेकिन अधिकारी केवल
देख रहे हैं। कोर्ट ने 24 घंटे में व्यवस्थाओं में सुधार कर अधिकारियों को 5
जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के
लिए कहा है। अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अशोक छंगाणी ने
कोर्ट को बताया कि दस साल बाद भी आदेशों की पालना नहीं की गई। वर्तमान में
हालात ये हैं कि शहर में फायरिंग की इतनी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन पुलिस
की व्यवस्था नहीं है। महज दस मिनट की बारिश में शहर में तालाब के हालात
होने से एक व्याख्याता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस पर हाईकोर्ट ने 24
घंटे में व्यवस्थाएं सुधार कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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