जोधपुर। केन्द्रीय कारागृह जोधपुर में बंद विचाराधीन बंदी सुभाष कुमार द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को जेल प्रशासन ने पूरी तरह मिथ्या एवं आधारहीन बताया है। इसमें बंदी सुभाष ने आरोप लगाया गया था कि उसके साथ कारागृह में बंद बंदी बरकत अली एवं मारूफ द्वारा मारपीट की गई एवं उनके द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन करवाने, धर्म विरोधी किताब और धर्मान्तरण की पुस्तक पढ़ने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसा करने से इन्कार करने पर मारपीट एवं डराया धमकाया जा रहा है।
अपर जिला मजिस्ट्रेट (शहर प्रथम) डॉ भास्कर विश्नोई ने इस बारे में प्रकाशित समाचार के संबंध में केन्द्रीय कारागृह जोधपुर के अधीक्षक से जांच के बाद प्राप्त तथ्यात्मक प्रतिवेदन के हवाले से बताया कि विचाराधीन बंदी सुभाष कुमार को महानिरीक्षक कारागार राजस्थान जयपुर के आदेश 16 दिसंबर, 2022 से जिला कारागृह जालोर से केन्द्रीय कारागृह जोधपुर में स्थानान्तरण पर दाखिल किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने बताया कि तथ्यात्मक प्रतिवेदन के अनुसार विचाराधीन बंदी सुभाष कुमार 29 जनवरी, 2023 को प्रातः 11 बजे पानी लेने जा रहा था, तभी अन्य बंदी बरकत अली एवं मारूफ से टकराने पर उनके बीच में बहस एवं गाली-गलोच हो गई। ड्यूटी प्रहरी पुखराज (बेल्ट नं. 5152) द्वारा छुड़वाकर उन्हें अलग किया गया। इसी दौरान आपसी झगड़े में सुभाष के नाक पर चोट आने से स्थानीय डिस्पेन्सरी एवं महात्मा गांधी चिकित्सालय में उपचार करवाया गया। इसके बाद बंदी को पुनः कारागृह में दाखिल करवा दिया गया है।
अपर जिला मजिस्ट्रेट ने इस मामले में जबरन या किसी भी तरीके से धर्म-परिवर्तन करवाने, धर्म विरोधी या धर्मान्तरण से संबंधित कोई भी किताब/साहित्य पढ़ने के लिए दबाव डालने या इसके लिए दुष्प्रेरित करने से संबंधित समाचार को पूर्णतया मिथ्या एवं आधारहीन बताया है।
अपर जिला मजिस्ट्रेट डॉ भास्कर विश्नोई ने बताया कि कारागृह परिसर में सभी बंदियों को अपनी धार्मिक मान्यता एवं विश्वास के पालन की पूर्ण स्वतंत्रता है। जेल परिसर में किसी प्रकार का धर्मान्तरण या धर्म विरोधी कोई साहित्य/ किताब नहीं पायी गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बंदी सुभाष कुमार द्वारा लिखित में यह स्वीकार किया गया है कि उसके द्वारा भावावेश में मीडिया के सामने धर्मान्तरण संबंधित बात कह दी थी जबकि धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने या धार्मिक किताब/साहित्य जबरदस्ती पढ़वाने से संबंधित कोई बात नहीं थी तथा वह किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं चाहता है।
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