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-केंद्रीय मंत्री ने देवराज राठौड़ जयंती समारोह में लिया हिस्सा
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जोधपुर। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखा्वत ने पश्चिमी राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (डब्ल्यूआरसीपी) में सहयोग का भरोसा दिलाया। शुक्रवार को सेतरावा में वीर शिरोमणि राव देवराज राठौड़ के 663वीं जयंती समारोह में शेखावत ने कहा कि राज्य सरकार को डब्ल्यूआरसीपी पर विस्तार से अध्ययन कराने की आवश्यकता है।
समारोह में शेखावत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को 5 साल तक रोकने के प्रयास हुए, लेकिन जब डबल इंजन की सरकार बनी तो 15 दिन में इसे लागू कराने का काम मैंने किया। उन्होंने कहा कि आदरणीय अटल जी की सरकार के समय नदियों को जोड़ने की कल्पना की गई थी। पार्वती, कालीसिंधु और चंबल को जोड़ने का एक लिंक 31 लिंक्स में से चिन्हित किया गया था।
उन्होंने कहा कि ईआरसीपी से 21 जिलों को पीने का पानी मिलेगा और 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी, क्योंकि वहां मध्य प्रदेश के साथ पानी उपलब्ध है। शेखावत ने कहा कि डब्ल्यूआरसीपी को लेकर राजस्थान सरकार ने एक कमेटी बनाई है। किस तरह और कहां से पानी लाया जा सकता है, इस विषय में चर्चा प्रारंभ की है। मैं डब्ल्यूआरसीपी को साकार कराने का भरोसा और विश्वास दिलाता हूं।
युवाओं को दें क्षत्रिय संस्कार
शेखावत ने कहा कि हमारा इतिहास बहुत गौरवशाली है। वीर दुर्गादास, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, वीर शिरोमणि राव देवराज राठौड़ पर हम 500-700 साल बाद भी गर्व महसूस कर रहे हैं। आज हम समाज को शक्तिशाली बनाने, बच्चों को अधिक नौकरियां दिलाने और राजनीतिक क्षेत्र में समाज किस तरह महत्वपूर्ण हो, इसकी चर्चा करते हैं, लेकिन आने वाली पीढ़ियां संस्कारों के साथ कितना जुड़ रही हैं, इस पर कोई चर्चा नहीं होती। केवल शक्ति और सामर्थ्य हासिल कर कोई समाज संस्कारवान रह सकता है, इसकी गारंटी नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पढ़ाएं और कामयाब बनाएं, लेकिन साथ-साथ में उनमें क्षत्रिय संस्कार भी डालें। युवा पीढ़ी अपने इतिहास पुरुषों से प्रेरणा ले सकें, इस तरह का विचार मंचों से करने की आवश्यकता है।
राज्य सरकार उपलब्ध कराए भवन
क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खोलने का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय बनाने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजना होता है। जब तक केंद्रीय विद्यालय का निर्माण भारत सरकार करे, तब तक एक भवन राज्य सरकार को उपलब्ध कराना होता है। मैं और बाबू सिंह राज्य सरकार से बात करते हैं कि कहां हम भवन उपलब्ध करा सकते हैं। यदि हम एक भवन की व्यवस्था कर सकें तो निश्चित रूप से अपने यहां केंद्रीय विद्यालय खुलेगा।
धरोहर बचाने के लिए सहयोग करें
ओरण और गोचर भूमि का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि अपने यहां ओरण और गोचर भूमि इसलिए बची, क्योंकि हमारे संस्कारों में पवित्रता थी। अपने बचपन का एक किस्सा याद करते हुए शेखावत ने कहा कि मुझे याद आता है। बचपन में एक बार स्कूल से आते हुए ओरण भूमि से एक दातुन मैंने तोड़ लिया था। जब मेरी दादी सा को इसका पता चला तो उन्होंने मुझसे कहा था कि ओरण से गीली लकड़ी तोड़ना पाप है। अब उसके बदले पांच पेड़ लगाने होंगे।
शेखावत ने कहा कि यह संस्कार समाप्त हुए तो ओरण और गोचर पर अतिक्रमण होना लगा, लेकिन अब इन भूमि को कानूनी रूप से सुरक्षित करना होगा। हमें परंपरागत रूप से चिह्नित गोचर और ओरण भूमि को रजिस्टर कराने के लिए सरकारी प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए। धरोहर बचाने के लिए हम सब प्रयास और सहयोग करें।
मां नागणेच्या माता मंदिर में ज्योत के दर्शन
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मां नागणेच्या माता मंदिर में ज्योत के दर्शन किए। राव देवराज राठौड़ की अश्वारूढ़ प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस दौरान संत सत्यम गिरी महाराज, विधायक बाबूसिंह सिंह राठौड़, मनोहर पालीवाल, मोती सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग समारोह में उपस्थित रहे। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया।
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