जयपुर। घोटालों की सियासी संजीवनी आखिर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों को जीवनदान देगी या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर गजेंद्र सिंह पर पलटवार किया है।
उन्होंने एक बयान में कहा है कि एसओजी ने 12 अप्रैल 2023 को राजकीय अधिवक्ता को लिखे पत्र क्रमांक SOG/SFIU/INV/2023/220 के साथ इस केस की तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें पेज नंबर 7 पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों की अपराध में संलिप्तत होने की बात लिखी और आरोपी माना है। इस रिपोर्ट में लिखा गया कि जिन कंपनियों की संलिप्तता संजीवनी घोटाले में है उनसे गजेन्द्र सिंह शेखावत का सीधा संबंध है। इसलिए इस केस की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराई जानी चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गहलोत ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि संजीवनी प्रकरण को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत द्वारा दायर एक मुकदमे में हाईकोर्ट का फैसला वर्तमान में अदालत के सामने SOG द्वारा रखे गए तथ्यों के आधार पर आया है। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद SOG ने हाईकोर्ट में यू-टर्न ले लिया। इस केस के जांच अधिकारी (IO) को भी हटा दिया गया। भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्री जी की याचिका के अनुरूप FIR को रद्द नहीं किया है। हाईकोर्ट ने कहाकि ट्रायल कोर्ट की इजाजत लेकर आगे कार्रवाई की जा सकती है।
गहलोत ने कहा कि इस केस के सैकड़ों पीड़ितों ने मुझसे मुलाकात की थी। तब मैंने SOG से इस मामले की जानकारी मांगी। तब SOG ने गृहमंत्री के रूप में मुझे इन तथ्यों एवं इस प्रकरण की प्रगति से अवगत करवाया। मेरा गजेन्द्र शेखावत के प्रति कोई व्यक्ति द्वेष नहीं था। SOG की इस ब्रीफिंग के आधार पर ही मैंने मीडिया के सामने शेखावत एवं उनके परिजनों पर लगे आरोपों की जानकारी सामने रखी। शेखावत ने अपने बयानों में अपनी स्वर्गीय माताजी पर लगे आरोपों का जिक्र किया। मेरा उनकी स्वर्गीय माताजी के प्रति पूरा सम्मान है परन्तु राज्य के गृहमंत्री के रूप में मेरे सामने लाए गए तथ्यों को पीड़ितों एवं जनता के सामने रखा जाना मेरा कर्तव्य था।
गहलोत ने आरोप लगाया कि अब राज्य में सरकार बदलने के बाद SOG पर भाजपा सरकार ने दबाव बनाया जिसके कारण SOG ने कोर्ट में यू-टर्न लिया और इन्हें आरोपी नहीं माना है। मेरी मांग है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में SIT बनाकर इस प्रकरण की जांच की जाए जिससे पता चले कि कांग्रेस शासन में SOG द्वारा गलत जांच की गई या अभी दबाव में SOG ने गलत रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस सरकार के समय इस केस में SOG ने फॉरेंसिक ऑडिट तक करवाकर भी जांच की थी। मेरा उद्देश्य लाखों पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित कर उनके जीवन की मेहनत की कमाई वापस उनको दिलवाने का है।
गरीब- मेहनकशों करोड़ो रुपए डकारने का दोषी आखिर कौनः
संजीवनी क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले में हाईकोर्ट ने भले ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों को एसओजी की रिपोर्ट के आधार क्लीनचिट दे दी है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि आखिर 960 करोड़ रुपए के इस घोटाले का मुख्य दोषी कौन है। उसकी संपत्ति सीज करके वसूली क्यों नहीं हो रही। इस ठगी का शिकार हुए 1.46 लाख लोगों को उनका जमा पैसा कैसे मिलेगा। अगर, इतनी बड़ी ठगी में भी दोषी ऐसे बच जाएंगे तो फिर सरकार की क्या जिम्मेदारी है। क्या सिर्फ वोट लेकर सत्ता सुख भोगना ही राजनीतिक दलों का लक्ष्य रह गया है।
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