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जोधपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर में रविवार को एक साहसी कदम उठाया गया, जब नर्सिंग की पूर्व छात्रा हितेशी बोराणा के अंगों को डोनेट किया गया। राजकोट में हुए सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद हितेशी को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। एम्स जोधपुर में उपचार के बाद, उनके परिवार ने अंग दान करने का ऐतिहासिक फैसला लिया।
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हितेशी के परिवार का निर्णय दूसरों की जान बचाने के उद्देश्य से लिया गया। उनकी एक किडनी और लीवर को जोधपुर में ट्रांसप्लांट किया गया, जबकि एक किडनी जयपुर के एसएमएस अस्पताल भेजी गई। जोधपुर में किडनी 38 साल की महिला और लीवर 40 साल के व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया गया। महिला का किडनी खराब होने का कारण उच्च रक्तचाप था, वहीं पुरुष का लीवर हेपेटाइटिस के कारण क्षतिग्रस्त था।
एम्स प्रशासन ने इस साहसिक कदम को सराहा और हितेशी की बॉडी को फूलों से सजी एंबुलेंस में उनके घर भेजा। इस अद्वितीय दान से न केवल मरीजों की जान बचाई गई, बल्कि यह भी दर्शाया गया कि मानवता के प्रति समर्पण और आत्मीयता की कोई सीमाएँ नहीं होतीं।
हितेशी बोराणा, जो पाल रोड स्थित रूपनगर द्वितीय की निवासी थीं, एम्स जोधपुर से नर्सिंग में बीएससी और एमएससी की डिग्री प्राप्त की थी। डेढ़ साल पहले ही उनकी नियुक्ति एम्स राजकोट में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में हुई थी। 12 दिसंबर को हुए दुर्घटना ने उनके जीवन को बदल दिया, लेकिन उनके परिवार ने इस कठिन समय में भी अपने महान निर्णय से दूसरों की मदद की।
एम्स जोधपुर ने इस कदम को मान्यता दी और हितेशी के परिवार का आभार व्यक्त किया, जो इस दुखद घड़ी में भी दूसरों के जीवन को बचाने के लिए तैयार हुए।
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