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जोधपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर रेलवे वर्कशॉप ने एक और नई सफलता हासिल की है। यहां पुराने रिटायर्ड रेल कोचों को नया जीवन देकर उन्हें देशभर में माल परिवहन के लिए तैयार किया जा रहा है। इन मॉडिफाइड कोचों को एनएमजीएचएस (न्यू मॉडिफाइड गुड्स हाई स्पीड) के नाम से जाना जाता है। ये कोच 110 किमी प्रति घंटे से अधिक की स्पीड से माल लदान में इस्तेमाल किए जा सकते हैं और 25 साल तक यात्री सेवा में उपयोग के बाद इन्हें 10 साल के लिए फिर से उपयोगी बनाया जा रहा है।
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सुरक्षित और तेज माल परिवहन: ये कोच कार, ट्रैक्टर, मिनी ट्रक, और दोपहिया वाहनों के साथ-साथ सब्जियों जैसी नाजुक वस्तुओं के लदान के लिए उपयुक्त हैं। डिज़ाइन में बदलाव: कोच से सभी खिड़कियां और दरवाजे सील कर दिए जाते हैं। साथ ही, अंदर से सीटों और पंखों को हटाकर इसे एक बड़े हॉलनुमा ढांचे में बदला जाता है। कम लागत : एक रिटायर्ड कोच को मॉडिफाई करने में केवल 11.50 लाख रुपए खर्च होते हैं।
रेलवे वर्कशॉप में अब तक तैयार किए गए 101 एनएमजीएचएस कोच देशभर में माल लदान के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं। जोधपुर डीआरएम पंकज कुमार सिंह के अनुसार, इन डिब्बों की डिमांड निजी कंपनियों द्वारा तेजी से बढ़ रही है। सड़क परिवहन के मुकाबले यह सुरक्षित और किफायती विकल्प है।
मुख्य कारखाना प्रबंधक मनोज जैन ने बताया कि वर्कशॉप को चालू वित्तीय वर्ष में 120 एनएमजीएचएस कोच तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है। जनवरी 2025 तक 27 कोच तैयार कर दिए गए हैं।
25 साल तक ट्रैक पर सेवा देने के बाद रिटायर्ड कोचों को मॉडिफाई करके रेलवे न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रख रहा है, बल्कि कम लागत में माल परिवहन का एक आधुनिक और भरोसेमंद साधन भी उपलब्ध करवा रहा है। जोधपुर रेलवे वर्कशॉप की यह पहल रेलवे की सतत विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
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