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राष्ट्रीय नाट्य लेखन-निर्देशन कार्यशालाः नाटक केवल मंच ही नहीं एक साहित्यिक कृति भी है-आचार्य

National Drama Writing-Directing Workshop: Drama is not only a stage but also a literary work - Acharya - Jodhpur News in Hindi

जोधपुर। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर के तत्वाधान में लोक कला मण्डल के सहयोग से राष्ट्रीय लेखक निर्देशक की तीन दिवसीय कार्यशाला 26 मई को शुरू हुई। कार्यशाला में देश के जाने माने नाट्य विशेषज्ञ, निर्देशक और लेखकों ने इसमें भाग लिया है।
राजस्थान मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं राज्यमंत्री रमेश बोराणा ने कार्यशाला के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि यह कार्यशाला अपने आप में इसलिए अनूठी कार्यशाला है क्योंकि इसमें नाटककार, निर्देशक और समीक्षक एक साथ नाटक के विभिन्न पक्षों पर चर्चा करेंगे।
अकादमी की नाट्य पाण्डुलिपि प्रतियोगिता के पुरस्कृत नाटकों के लेखकों को आवश्यक सुझाव भी देंगे। कार्यशाला की परिकल्पना को अमलीजामा पहनाने के लिए अकादमी की अध्यक्ष बिनाका मालू का आभार जताया। अकादमी अध्यक्ष बिनाका मालू ने स्वागत भाषण में कार्यशाला के महत्व को रेखांकित किया।
उदघाटन सत्र में नंद किशोर आचार्य ने कहाकि नाटक केवल मंच ही नहीं एक साहित्यिक कृति भी है। यह हमें नहीं भूलना चाहिए कि नाटक लिखने के पीछे क्या पाने या देने की मंशा है? प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक एवं नाट्य चिंतक भानु भारती ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि नाट्य आलेख सघन नाटकीय अनुभव की सृजनात्मक अभिव्यक्ति है। उन्होंने लेखक और निर्देशक के अन्तः सबन्धों को भी रेखांकित करते हुए कहाकि नाटक कई कलाओं का अंतरगुंफन है। इस सामाजिक अनुष्ठान में परस्परता है, स्पर्धा नहीं। सत्र संचालन लाईक हुसैन ने किया।
दूसरे सत्र में नाट्य शास्त्र और पश्चिमी नाटक के संदर्भ में निर्देशक की परिकल्पना व भूमिका पर मुंबई के लेखक एवं निर्देशक बृज मोहन व्यास ने विचार व्यक्त किए। नाट्य लेखन और निर्देशक के सबंध पर लाईक हुसैन ने अगले सत्र में अपने विचार रखे। सत्र का संचालन नाट्य निर्देशक अभिषेक मुद्गल ने किया।
अंतिम सत्र में नाट्य समीक्षक राघवेंद्र रावत ने नाटक और सामाजिक सरोकार विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। भानु भारती ने निर्देशक की दृष्टि और नाट्य आलेख पर कहा कि अगर नाटक की क्राफ्ट पता नहीं है तो सही आमद नहीं होती। उन्होने कहा कि नाटक में कुछ भी अनायास नहीं होता।
नंदकिशोर आचार्य ने नाट्य लेखन दर्शन और प्रतिबद्धता पर विचार व्यक्त करते हुए कहाकि नाटक में हम अपने अनुभव को व्यक्त करते हैं, किसी विचार को नहीं। कला को जानना और अभिव्यक्त करने में एक प्रक्रिया से गुजरना होता है। पहले सत्र में नाटक और संगीत के अंतरसबन्धों पर प्रेम भण्डारी ने प्रकाश डाला और कथाकार रीना मनेरिया ने कथानक और कहानी पर अपने विचार व्यक्त किए।
बाल एवं कठपुतली नाट्य लेखन पर विस्तार से लोकविद महेंद्र भानावत ने अपने अनुभव साझा किए। नाट्य लेखन और रचना प्रक्रिया पर जबलपुर से पधारे नाटककार एवं नाट्य निर्देशक आशीष पाठक ने कहा कि नाटक डार्कनेस और साइलेंस का संयोजन है। नाटक में कोई कला वर्जित नहीं है, लेकिन वह नाटक में उसी कि शर्त पर आएगी। नाटककर और निर्देशक दोनों का लक्ष्य प्रेक्षक की बुद्धि को लक्षित करना है।
अगले सत्र में पुरस्कृत नाटकों के आलेखों पर समग्र चर्चा हुई। जिसमें लेखक और चुनिन्दा नाट्य निर्देशकों ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला नाट्य लेखन की प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए अगले सत्र की आधार भूमि रमेश बोराणा ने तैयार की। उन्होने कहा कि कई-कई ड्राफ्ट के बाद कोई एक नाटक तैयार होता है।
इस सत्र में वैल्कम स्वागत है (हितेन्द्र गोयल), ‘दरारें यकीक कि (इकबाल हुसैन), प्रेम शार्दूल (अदिति जैन), बंशी रेन बसेरा (विजय कुमार शर्मा ) और छोटी सी बात फसाने बड़े (एस. एन. पुरोहित) पर विस्तृत चर्चा हुई। जिसमें भानु भारती, नंद किशोर आचार्य, बृज मोहन व्यास, एस. पी. रंगा, रमेश भाटी, गोपाल आचार्य, अशोक जोशी , मदन बोराणा, अदिति जैन, हितेन्द्र गोयल, राघवेंद्र रावत, स्वप्निल जैन और अभिषेक मुद्गल ने विचार व्यक्त किए।
अंतिम सत्र में नाटक किसका विषय? लेखक, निर्देशक, अभिनेता व बाज़ार के अंतर संबंधों पर बृज मोहन व्यास ने कहा कि नाम और सम्मान से अर्थव्यवस्था कि कल्पना करना गलत होगा। लेखन प्रक्रिया पर आशीष पाठक ने अपनी रचना प्रक्रिया के साथ-साथ नाट्य लेखन के विभिन्न पक्षों के व्यावहारिक पक्ष पर अपने विचार व्यक्त किए। कुल मिला कर नाटक के विभिन्न पक्षों पर विषाद चर्चा बहुत अनौपचारिक ढंग से हुई जिससे नए लेखकों को नाटक लिखने और निर्देशन से विषयों पर महत्वपूर्ण अनुभव सुनने के साथ -साथ सैद्धान्तिक पक्ष पर भी मार्गदर्शन मिला जो उनके भविष्य निर्माण में अहम भूमिका अदा करेंगी।

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Web Title-National Drama Writing-Directing Workshop: Drama is not only a stage but also a literary work - Acharya
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