जोधपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली और उसकी कार्यक्षमता उसकी लोकतांत्रिक जीवंतता को परिभाषित करती है। एक स्वतंत्र मजबूत न्याय प्रणाली किसी भी प्रकार के शासन के लिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह जीवन की जीवन रेखा है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय और उसके मुख्य न्यायाधीश न्याय प्रदान करने में रीढ़ की हड्डी की तरह मौलिक हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की शिथिलता, धारणागत या अन्यथा, हमारे लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में न्यायपालिका को कमजोर कर देगी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को जोधपुर स्थित मारवाड इंटरनेशनल सेंटर में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय की 75 वर्षगांठ के उपलक्ष में आयोजित प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने कहाकि लोकतंत्र के तीन स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की निस्संदेह और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका है। इस आधार पर, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का ईमानदारी से पालन करने की आवश्यकता है। साथ ही, हमारे पास इतिहास का ज्ञान और बुद्धि है, यह हजारों लोगों की हमारी सभ्यता के लोकाचार में गहराई से अंतर्निहित है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्यक्रम में देशभर से आए न्यायाधीशों व वकीलों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें वैधता प्राप्त करने के लिए संवैधानिक संस्थानों को प्लेटफार्म के रुप में प्रयोग कर रही हैं। ये ताकतें देश तोड़ने को तत्पर हैं और राष्ट्र के विकास व लोकतंत्र को पटरी से उतारने के लिए मनगढ़ंत नैरेटिव चलाती हैं। धनखड़ ने आगाह करते हुए कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने में न्यायपालिका की भूमिका को सराहा।
इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह दिन देशवासियों को आगाह करेगा कि किस तरह 1975 में संविधान पर कुठाराघात किया गया और उसकी मूल भावना को कुचला गया।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजस्थान हाई कोर्ट में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि यह कोर्ट उन नौ हाईकोर्ट में शामिल है जिसने आपातकाल के बाबजूद निर्णय दिया कि आपातकाल में भी व्यक्ति को बिना वजह गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि खेद का विषय है की हमारा सम्मानित सुप्रीम कोर्ट जिसने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ाने में महान योगदान दिया है, वह इमरजेंसी के दौरान देश के नागरिकों के हक में नहीं खड़ा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इन 9 न्यायालयों के फैसलों को पलट दिया और निर्णय दिया कि आपातकाल लागू रहने के दौरान व्यक्ति को न्यायालय राहत नहीं दे सकता और सरकार जब तक चाहे आपातकाल लागू रख सकती है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि संविधान में सभी अंगों के कार्यक्षेत्र का स्पष्ट बंटवारा है और शक्तियों के इस प्रथक्करण का सबके द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि संसद न्यायिक निर्णय नहीं दे सकती, उसी तरह न्यायलय भी कानून नहीं बना सकते। कार्यक्रम से पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मारवाड इंटरनेशनल सेंटर के परिसर में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
राजस्थान उच्च न्यायालय के स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के तत्वाधान में प्लेटिनम जुबली समारोह शनिवार को मारवाड इंटरनेशनल सेंटर में रोल ऑफ ज्यूडिशियरी इन इमर्जिंग इंडिया' विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। साथ ही, अथितियोंं को पुष्पगुच्छ एवं मनीप्लांट भेंट किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने सभी उपस्थित अतिथियों का परिचय देते हुए अपना उद्धबोधन दिया।
इस दौरान गेस्ट ऑफ ऑनर सुप्रीम कोर्ट जस्टिस ए. जी. मसीह, जस्टिस संदीप मेहता, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति अरुण भंसाली, राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एम.एम. श्रीवास्तव, विशेष अतिथि विधि मंत्री जोगाराम पटेल, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने शिरकत कर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी, अन्य न्यायाधीश, राज्य के न्यायिक अधिकारी सहित एडवोकेट्स उपस्थित रहे।
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