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जोधपुर। जोधपुर सेंट्रल जेल में बनी विशेष अदालत ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में आसाराम को दोषी करार दिया गया। आसाराम के अलावा अदालत ने शिल्पी और शरदचंद्र को दोषी करार दिया। जबकि शिवा और प्रकाश को बरी कर दिया। जोधपुर सेंट्रल जेल के अंदर बनी विशेष कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने अपना अहम फैसला सुनाया। आपको बता दें कि 1660 दिन आसाराम जेल में बिता चुका हैं और इस मामले में 1470 दिनों तक ट्रायल चला। 12 बार अदालतों से उनकी जमानत याचिका को खारिज किया जा चुका है। 6 बार ट्रायल कोर्ट, तीन बार हाई कोर्ट और 3 बार सुप्रीम कोर्ट से उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।
30 से ज्यादा नामी वकीलों ने आसाराम के लिए पैरवी की, लेकिन कोई भी जमानत नहीं दिला सका। इन अधिवक्ताओं में राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद, मुकुल रोहतगी, सोली सोराबजी और केटीएस तुलसी शामिल हैं। आसाराम को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक किशोरी की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। पीडि़ता आसाराम के मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा आश्रम में अध्ययन करती थी। पीडि़ता का आरोप है कि आसाराम ने जोधपुर के पास मनाई इलाके में अपने आश्रम में बुलाकर उससे 15 अगस्त, 2013 को दुष्कर्म किया था।
जानें, कब क्या हुआ
15 अगस्त 2013: जोधपुर के निकट मणाई गांव के पास एक फार्म हाउस में आसाराम ने एक नाबालिग छात्रा के साथ यौन उत्पीडऩ किया था।
19 अगस्त 2013: पीडि़ता और उसके माता-पिता ने नई दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में रात के 11 बजकर 55 मिनट पर आसाराम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उसी रात 1 बजकर 5 मिनट पर पुलिस ने पीडि़ता का मेडिकल कराया और 2 बजकर 45 मिनट पर मुकदमा दर्ज किया।
20 अगस्त 2013: धारा 164 के तहत पीडि़ता के बयान दर्ज कराए गए। दिल्ली के कमला नगर थाने में दर्ज जीरो एफआईआर को जोधपुर भेजा गया।
21 अगस्त 2013: जोधपुर पुलिस ने शाम सवा 6 बजे मामला दर्ज किया। आसाराम के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 342, 376, 354 (ए), 506, 509 व 134 के तहत मामला दर्ज किया गया।
31 अगस्त 2013: मामला दर्ज करने बाद जोधपुर पुलिस की एक टीम ने मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से आसाराम को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 8 और जेजेए की धारा 23 व 26 के तहत मामला दर्ज किया गया।
6 नवम्बर 2013: पुलिस ने आसाराम के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। 29 नवम्बर को इस मामले पर कोर्ट ने संज्ञान लिया।
13 फरवरी 2014: कोर्ट ने इस मामले में मुख्य आरोपी आसाराम और सहआरोपी शिल्पी, शरद, प्रकाश के खिलाफ आरोप तय किए।
19 मार्च 2014 से 6 अगस्त 2016: इस दौरान अभियोजन पक्ष ने अपनी तरफ से 44 गवाहों की गवाही कराई और साथ ही कोर्ट में 160 दस्तावेज पेश किए गए।
4 अक्टूबर 2016: कोर्ट में आसाराम के बयान दर्ज किए गए।
22 नवम्बर 2016 से 11 अक्टूबर 2017: इस अवधि में बचाव पक्ष ने अदालत के समक्ष 31 गवाहों के बयान दर्ज कराए और साथ ही 225 दस्तावेज प्रस्तुत किए।
7 अप्रैल 2018: इस मामले में विशेष एससी-एसटी कोर्ट में बहस पूरी हुई और कोर्ट ने पूरे मामले पर सुनवाई करने के बाद फैसले के लिए 25 अप्रैल तय कर दी।
25 अप्रैल 2018: जोधपुर सेंट्रल जेल में बनीं कोर्ट में आसाराम सहित 3 आरोपियों को दोषी करार दिया गया और दो आरोपियों को बरी कर दिया गया।
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