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श्मशान से जिंदगी की पुकार : रोहिताश की अद्भुत कहानी और डॉक्टरों की लापरवाही की सजा

Call of life from the crematorium : Rohitash amazing story and punishment for doctors negligence - jhunjhunu News in Hindi

झुंझुनूं। जिले के श्मशान घाट में एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने इंसानी लापरवाही और ईश्वर की लीला का अद्भुत संगम दिखाया। अनाथ और मूक-बधिर रोहिताश, जिसे डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर चिता तक पहुंचा दिया था, अचानक चिता पर लेटे-लेटे सांस लेने लगा। यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि हमारे सिस्टम की नाकामी पर भी गहरी चोट करती है।


अंतिम यात्रा का चौंका देने वाला मोड़

मां सेवा संस्थान के बगड़ स्थित आश्रय गृह में रहने वाले 25 वर्षीय रोहिताश की तबीयत बिगड़ने पर उसे झुंझुनूं के भगवान दास खेतान अस्पताल ले जाया गया था। अस्पताल में डॉक्टर्स ने उसे कुछ ही मिनटों में मृत घोषित कर दिया। शव को मॉर्च्युरी में दो घंटे तक रखने के बाद श्मशान ले जाया गया। जब लोग अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे, तभी चिता पर रखे रोहिताश ने सांस लेना शुरू कर दिया। उसकी बॉडी में हरकत देखकर वहां मौजूद सभी के दिल कांप उठे।

जिंदा होने की आशा और मौत की सच्चाई

घबराए लोग रोहिताश को फिर से बीडीके अस्पताल ले गए। वहां से उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन 12 घंटे की इस संघर्षपूर्ण लड़ाई के बाद, वह जिंदगी की जंग हार गया।

लापरवाही की हदें और डॉक्टर्स की जवाबदेही

इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद, लापरवाही के आरोप में तीन डॉक्टरों—डॉ. योगेश जाखड़, डॉ. नवनीत मील और डॉ. संदीप पचार—को निलंबित कर दिया गया।
डॉ. योगेश ने सबसे पहले रोहिताश को मृत घोषित किया था। डॉ. नवनीत ने जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम कर डाला। वहीं, पीएमओ डॉ. संदीप ने पूरे मामले को दबाने की कोशिश की।

समाज और सिस्टम के सवाल

यह घटना सिर्फ एक अनाथ की मौत नहीं, बल्कि समाज और मेडिकल सिस्टम के प्रति हमारी जिम्मेदारियों पर सवाल है। क्या एक इंसान की जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है कि उसे मॉर्च्युरी में रखकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बना दी जाए, जबकि वह जिंदा हो?

कलेक्टर का कड़ा रुख

जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की और दोषी डॉक्टर्स को सस्पेंड कर दिया। यह कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का एक मजबूत संदेश है, लेकिन क्या इससे रोहिताश जैसी अनमोल जिंदगियां बच सकेंगी?

रोहिताश की यह कहानी हमें झकझोरती है और सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमने संवेदनाओं को खो दिया है? उसकी मौत सिर्फ डॉक्टर्स की लापरवाही का परिणाम नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम की बुनियादी खामियों का सबूत है। उम्मीद है, यह घटना बदलाव की एक किरण बनकर उभरेगी।

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Web Title-Call of life from the crematorium : Rohitash amazing story and punishment for doctors negligence
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