झालावाड़ । पर्यावरण विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा वायु (प्रदूषण
नियंत्रण एवं रोकथाम) अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के तहत फसल अवशेष जलाने
को प्रतिबंधित किया गया है। जिसके मद्देनजर अब जिले में फसल अवशेष या पराली
जलाने वालों पर कृषि विभाग द्वारा सख्त कार्यवाही करते हुए जुर्माना लगाया
जाएगा।
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कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कैलाशचन्द मीणा ने बताया कि कृषि
विभाग द्वारा कृषकों से समय-समय पर समझाइश की जा रही है इसके बावजूद भी
यदि कृषक खेतों में पराली जलाते है तो प्रशासन की ओर से सख्ती बरती जाएगी।
उन्होंने बताया कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फसल अवशेषों
को जलाने पर भूमि स्वामित्व के अनुसार 2500 रूपए (2 एकड़ से कम), 5000 रूपए
(2-5 एकड़) और 15000 रूपए (5 एकड़ से अधिक) प्रति घटना जुर्माना लगाने का
प्रावधान किया है। इसकी अवहेलना किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188
एवं अन्य सुसंगत धाराओं के तहत दंडित किया जा सकता है।
फसल अवशेष दहन के दुष्परिणाम
उन्होंने
बताया कि कार्बनिक पदार्थ, जीवांश पदार्थ मृदा संसाधन का एक महत्वपूर्ण
घटक है परन्तु फसल अवशेषों को जलाने से यह अमूल्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं
जिसके कारण मृदा की उर्वरता व उत्पादकता कम हो जाती है। जिले में खरीफ
फसलों की कटाई हो रही है। इसी के साथ ही जिले में आगामी दिनों में खेतों
में फसल अवशेष पराली जलाने की घटनाएं बढ़ सकती है। फसलों के अवशेष जलाने से
भूमि की उर्वरता शक्ति घटने के साथ ही मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवों की
संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। परिणामस्वरूप उन्नत किस्मों उर्वरकों का
समुचित प्रयोग करने के उपरांत भी फसलों की पैदावार में वृद्धि नही हो पा
रही है। साथ ही पराली जलाने से विभिन्न हानिकारक गैस जैसे मिथेन, कार्बन
डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड भारी मात्रा में वातावरण में फैलने से
मनुष्यों में कैंसर, अस्थमा तथा अन्य हानिकारक बीमारियां होने की संभावना
रहती है।
लाभकारी खेती के लिये हो फसल अवशेष प्रबन्धन
फसल
अवशेष एक प्राकृतिक संसाधन है ऐसे में फसल अवशेषों को जलाने के बजाय मिट्टी
में मिला देने से मिट्टी की भौतिक, रसायनिक एवं जैविक दशा में सुधार होगा,
पैदावार बढ़ेगी और मिट्टी का स्वास्थ्य लम्बे समय तक अच्छा बना रहेगा। कृषक
फसल अवशेषों को जलाने के बजाय स्ट्रीपर द्वारा चारा बनाकर अतिरिक्त आमदनी
करें तथा शेष अवशेषों को रोटावेटर से गहरी जुताई कर मिट्टी में मिला दें,
जिससे मिट्टी में कार्बनिक व जीवांश पदार्थों की मात्रा बढ़ेगी व फसलों की
पैदावार बढ़ेगी। इसके लिए विभाग द्वारा कृषकों को उन्नत कृषि यन्त्र यथा
स्ट्रीपर एवं रोटावेटर अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
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