जयपुर/जालोर। अतिवृष्टि के कारण जालोर में पैदा हुए बाढ़ के हालात अब सामान्य होने लगे हैं। जिला प्रशासन की सतर्कता के साथ ही सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय लोगों के प्रयासों से अब जालोर में स्थिति नियंत्रण में है। प्रशासन लगातार लोगों को राहत पहुंचाने में जुटा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रसद सामग्री और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति अनवरत जारी है। मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए मेडिकल टीमें मिशन मोड पर अपनी जिम्मेदारी को अंजाम दे रही हैं। राहत कार्यों से जुड़े सभी विभाग पूरी मुस्तैदी के साथ लोगों को संकट की इस घड़ी से बाहर निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बुधवार को भी राहत कार्य जोर-शोर से जारी रहे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जिला कलेक्टर एल.एन. सोनी ने बताया कि सभी विभागों और आमजन के सहयोग से अब स्थितियां काबू में हैं। बाढ़ प्रभावित हर गांव में राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं। जनप्रतिनिधियों के साथ ही उपखंड अधिकारी, विकास अधिकारी एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौके पर जाकर और हालात का जायजा लेकर लोगों को तत्काल राहत पहुंचा रहे हैं। फसल एवं अन्य खराबे का आकलन भी करवाया जा रहा है, ताकि लोगों को शीघ्र सहायता दी जा सके। बारिश से बाधित कई मार्गों पर यातायात सुचारू हो गया है। ज्यादातार इलाकों में बिजली आपूर्ति भी चालू हो गई है। मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए मेडिकल टीमें लोगों को राहत देने में जुटी हुई हैं।
बुधवार को आहोर विधायक शंकर सिंह राजपुरोहित, उपखंड अधिकारी राजेन्द्र सिंह सिसोदिया सहित अन्य अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित आकोली, चांदना, डूडसी, डीगांव, नागणी, भेटाला और बागरा सहित अन्य गांवों का दौरा किया और वहां मूलभूत आवश्यकताओं को सुचारू करवाया। आहोर उपखंड में मादरी, दयालपुरा, गांगावा, चरली, सनवाड़ा, काम्बा, खारा और जोगावा सहित अन्य गांवों में राहत कार्यों के साथ-साथ मेडिकल टीमों ने लोगों का उपचार किया।
बिजली आपूर्ति बहाल
जिला कलेक्टर ने बताया कि जालोर जिले के सभी उपखंडों में विद्युत आपूर्ति लगभग बहाल हो चुकी है। उन्होंने बताया कि केवल उन्हीं क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बंद है, जहां बाढ़ का पानी भरा हुआ है और विद्युत आपूर्ति शुरू करने से खतरे की आशंका है। उन्होंने बताया कि 33 केवी के 232 जीएसएस में से 229 जीएसएस से विद्युत आपूर्ति सुचारू हो गई है। शेष 3 जीएसएस से विद्युत आपूर्ति सुचारू करने का काम तेजी से चल रहा है। इसी तरह 11 केवी के 1149 फीडरों में से 1079 फीडरों की विद्युत आपूर्ति पूरी तरह चालू है। उन्होंने बताया कि जालोर जिले के 794 गांवों में से 716 में बिजली सप्लाई चालू है। केवल 78 गांव अभी प्रभावित हैं, जिनमें से सांचौर पंचायत समिति के 59, चितलवाना के 17 और रानीवाडा पंचायत समिति के केवल 2 गांव शामिल हैं। इनमें क्षेत्रों में बाढ़ का पानी भरा होने के कारण विद्युत आपूर्ति बाधित है।
3100 गोवंश का उपचार
सोनी ने बताया कि जिले में बाढ़ के कारण प्रभावित हुई गोशालाओं में भी राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं। जालोर के साथ-साथ जोधपुर एवं बाड़मेर के कार्मिकों को भी गोशालाओं में राहत कार्यों के लिए नियोजित किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में 14 सीनियर वेटरनरी ऑफिसर तथा वेटरनरी ऑफिसर एवं 21 वेटरनरी असिस्टेंट तथा पशुधन सहायकों को लगाया गया है। पशु चिकित्सकों की टीमों ने अब तक करीब 3100 गोवंश को उपचारित किया है। इसमें 1306 गोवंश नंदीशाला गोलासन, 1182 गोवंश पथमेड़ा गोशाला तथा 571 गोवंश पालड़ी गोशाला के उपचारित किए गए हैं।
गौशालाओं को अनुदान की किस्त जारी
जिला कलेक्टर ने बताया कि निर्धारित नियमों के तहत गोशालाओं को दी जाने वाली सहायता के तहत 52 गोशालाओं को 90 दिवस की आर्थिक सहायता दो किस्तों में दी जानी है। इसके तहत 52 गोशालाओं को प्रथम किस्त के रूप में 5 करोड़ 61 लाख 12 हजार रुपए का अनुदान जारी किया जा चुका है तथा 32 गोशालाओं को दूसरी किस्त के रूप में 4 करोड़ 36 लाख 83 हजार रुपए का अनुदान दे दिया गया है। नंदी गोशाला, गोलासन को एक माह की अतिरिक्त सहायता के रूप में करीब एक करोड़ रुपए की राशि दी गई है। जिला कलेक्टर ने कहा है कि जिन गोशालाओं को दूसरी किस्त नहीं मिली है, वे शीघ्र अपने दावा बिल प्रस्तुत करें ताकि उन्हें दूसरी किस्त जारी की जा सके।
5 हजार रोगियों का इलाज
जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए 18 मोबाइल तथा 10 रेपिड रेस्पोंस टीमें लगातार जुटी हुई हैं। चितलवाना ब्लॉक में 4 और अन्य सात ब्लॉक में 2-2 मोबाइल टीमें लगाई गई हैं। इसके अलावा ब्लॉकवार एक-एक और दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रेपिड रेस्पोंस टीम लगाई गई है। अब तक करीब 5 हजार रोगियों का उपचार किया गया है। विभाग की ओर से जल भराव के 24 स्थानों पर गम्बुसिया मछली भी डाली गई हैं, ताकि लार्वा पैदा नहीं हो। साथ ही मकानों में पायरिथिरिम का स्प्रे करवाया जा रहा है। करीब 480 गांवों में एमएलओ डलवाया गया है। घरों में बने पानी के टांकों में टेमीफॉस डलवाया जा रहा है।
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