जालोर। शहर समेत जिलेभर में घरों व अन्य स्थानों पर व्यावसायिक गतिविधियां होने के बावजूद घरेलू श्रेणी के पानी कनेक्शन का ही बिल जारी होने से विभाग को लाखों रुपए की चपत लग रही है। विभागीय अधिकारी स्वयं मान रहे हैं कि शहर ही नहीं जिलेभर में घरों में व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं, जबकि इन मकान मालिकों को घरेलू श्रेणी का ही बिल जारी हो रहा है, जबकि नियमानुसार इन उपभोक्ताओं को अघरेलू श्रेणी का बिल जारी होना चाहिए।
पिछले साल पानी के बिलों की नई दरें जारी होने से बिलों की राशि में काफी इजाफा हुआ है। नई दरें जारी होने के बाद जलदाय विभाग जालोर की ओर से शहर में कनेक्शनों की श्रेणी में बदलाव के लिए सर्वे किया गया। नवंबर 2015 में किए गए इस सर्वे में 180 ऐसे कनेक्शन चिह्नित किए गए थे, जो अघरेलू श्रेणी के थे। विभागीय अधिकारी स्वयं मान रहे हैं कि अभी भी शहर ही नहीं जिले में काफी संख्या में ऐसे कनेक्शन है, जो घरेलू श्रेणी में बिल भर रहे हैं, जबकि उनमें अघरेलू श्रेणी के कनेक्शन होने चाहिए।
जिलेभर संख्या अधिक
जिला मुख्यालय की बात करें तो विभाग के रेकर्ड में मात्र 1 हजार कनेक्शन ही कॉमर्शियल श्रेणी की है, जबकि इसकी वास्तविक संख्या 3 से 4 हजार तक है। विभाग के पास फिलहाल केवल एक मीटर इंस्पेक्टर है, जिस पर 14000 कनेक्शन की जांच का दारोमदार है। जबकि नियमानुसार प्रति 2000 कनेक्शन एक मीटर रीडर होना चाहिए। यही हालात भीनमाल और सांचौर क्षेत्र में है। इन दोनों ही शहरों में भी 10 से 12 हजार तक कनेक्शन है, इनमें कॉमर्शियल कनेक्शन की संख्या काफी कम है। जिसका सीधा असर आय पर पड़ रहा है।
जलदाय विभाग जालोर के एसई कमलजीत सिंह का कहना है कि जिन भवनों में व्यावसायिक गतिविधि चल रही है और बिल घरेलू श्रेणी का जारी हो रहा है। उनका सर्वे करवाया जाएगा। सर्वे के बाद चिह्नित कर इन उपभोक्ताओं को नियमानुसार बिल जारी किया जाएगा।
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