जैसलमेर। सांप का नाम सुनते ही शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ जाती है और इस रेंगने वाले
जीव से हर कोई दूर ही रहना चाहता है। हालांकि कई सपेरे जैसी जातियां
इनके साथ ही पलती बढ़ती हैं, मगर आज-कल उन्होंने भी इनसे खेलना बंद कर दिया
है। मगर जैसलमेर में जैन परिवार में जन्मे मुन्ना को इन सांपों से मुहब्बत हो गई है। मुन्ना का मकसद सांपों से लोगों की जिंदगी बचाना ही नहीं, बल्कि सांपों कोे भी बचाना है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सांपों की बहुतायत
भारत-पाक सीमा पर बसा जैसलमेर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है। सुदूर इलाकों की बस्तियों में बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा सांपों का डर बना रहता है। बरसात के दिन आते ही सर्पदंश के हादसे बढ़ जाते हैं और जैसलमेर जैसे सीमावर्ती जिले के ग्रामीण इलाकों
में ऐसी घटनाएं आम हैं। लोग इन सांपों से बचने के लिए जरूरी उपाय तो करते हैं, मगर कभी-कभी सांपों को मार भी डालते हैं। ऐसे में मुन्ना लोगों से इन सांपों की जिंदगी तो बचाता है।
जैन परिवार में जन्मा है मुन्ना
जैसलमेर
शहर में एक जैन परिवार में जन्मे मुन्ना की जिंदगी का तो यही मकसद है। शहर में जब भी कोई सांप निकलता है तो लोगों की जुबान पर मुन्ना भाई का नाम आ जाता है। मुन्ना भाई इस शहर में मुन्ना भाई सांप वाला के नाम से
पहचाने जाना लगा है। मुन्ना इन सांपों को दूर निर्जन स्थानों
पर छोड़ देता है।
सांपों के हमले का शिकार हुआ मुन्ना
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