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जयपुर। ग्राम बिहारीपुरा में 2024 की फसलों की हानि के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्लेम प्राप्त करने हेतु आयोजित एक सभा में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने किसानों को संबोधित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों की समृद्धि के लिए 'किसान केंद्रित राजनीति' और 'गांव आधारित अर्थरचना' ही एकमात्र अपरिहार्य आधार है।
जाट ने कहा कि केवल निंदा पर आधारित राजनीति से सत्ता परिवर्तन तो संभव है, परंतु वास्तविक व्यवस्था परिवर्तन और सुधार की संभावनाएं नगण्य रहती हैं। उन्होंने 'खेत को पानी, फसल को दाम, युवाओं को काम' के मंत्र को सही दिशा बताया, जिससे समाज सुखी और समृद्ध बन सकेगा। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि वर्तमान में राज प्राप्ति ही सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है, जिसके लिए जाति, दल और पंथ की रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं, जबकि मूल मुद्दों की अनदेखी की जा रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जल संकट और सरकारी उपेक्षा: राजस्थान में पानी की गंभीर समस्या पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश का भूभाग देश के भौगोलिक क्षेत्र का 10.4% है, जबकि पानी की उपलब्धता लगभग एक प्रतिशत ही है। उन्होंने चंबल नदी से बहकर समुद्र में जा रहे 20,000 मिलियन घनलीटर पानी, सिंधु जल समझौते का पाकिस्तान जा रहा पानी, और यमुना-माही समझौतों के अपर्याप्त क्रियान्वयन पर चिंता व्यक्त की। 'शारदा-साबरमती-यमुना लिंक परियोजना' का केवल कागजों पर रहना निराशाजनक है।
किसानों की दुर्दशा और नीतियां: जाट ने कहा कि देश की लगभग 75% आबादी (खेती और सहायक धंधों में) किसानों से जुड़ी है, फिर भी सरकार की नीतियां कृषि एवं किसान हितों के विपरीत बनती हैं। इसका परिणाम यह है कि किसानों को अक्सर लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता और उन्हें घोषित 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' (एमएसपी) से कम दामों पर अपने उत्पाद बेचने को विवश होना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि 'कृषि लागत एवं मूल्य आयोग' ने एमएसपी की सार्थकता के लिए खरीद की गारंटी का कानून बनाने हेतु तीन बार अनुशंसा की है, परंतु 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
समाधान की ओर 'गांव बंद आंदोलन': किसानों की इस असाध्य समस्या को हल करने के लिए जाट ने 'किसान के स्व को जगाना' और 'अन्नदाता' के भाव को प्रखर बनाने पर जोर दिया। उन्होंने 'गांव बंद आंदोलन' को एक 'ब्रह्मास्त्र' बताया, जिसके तहत किसान अपने उत्पाद गांव से बाहर नहीं ले जाएंगे, बल्कि जो गांव में खरीदने आएगा, उसे ही बेचेंगे। उन्होंने 2025 में 1 से 15 मार्च तक ₹6000 प्रति क्विंटल से कम में सरसों न बेचने के आह्वान का उदाहरण दिया।
जाट ने आह्वान किया कि जाति, दल, पंथ को छोड़कर किसान 'खेत को पानी, फसल को दाम, युवाओं को काम' के आधार पर मतदान करें। उन्होंने 'बीती रात हो गई भोर - चलो किसानों राज की ओर' और 'वे जाति धर्म से तोड़ेंगे- हम मूंग, चने से जोड़ेंगे' जैसे नारों के साथ 'संकल्प अभियान' का आगाज किया।
अंत में, उन्होंने 'वोट हमारा, राज तुम्हारा, नहीं चलेगा!' की अलख जगाने के लिए 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को जयपुर में एक प्रभावी 'अन्नदाता हुंकार रैली' के आयोजन की घोषणा की, जिसके लिए 'चलो जयपुर चलो' की तैयारी आरंभ हो गई है। उनका मानना है कि इससे सकारात्मक वैकल्पिक राजनीति का सूत्रपात होगा, जिससे किसानों की आय सिविल कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के बराबर हो सकेगी, ग्रामीण जीवन समृद्ध बनेगा और भारत विश्व में आर्थिक रूप से श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करेगा।
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