स्त्री लेखन विषय पर मैत्रेयी
पुष्पा, कात्यानी, गीता श्री, विपिन चौधरी ने अपने विचार व्यक्त किए।
संचालन रुपा सिंह ने किया। मैत्रेयी पुष्पा ने कहा कि आज के दौर में लेखन
के क्षेत्र में कदम रख रही नई पीढ़ी को सीखने की जरूरत है। लेखन ऐसा होना
चाहिए जो दिल के करीब हो। नूर जहीर और कात्यानी ने भी युवा लेखकों को लेखन
के गुर बताए। यह भी पढ़े : 90 की उम्र फिर भी आंख से तिनका निकाल लेते भगत राम
नौटंकी का नेप्थ्य
इस सत्र का संचालन
करते हुए विनोद भारद्वाज का कहना था कि पहले नौटंकी देखने को बुरा समझा
जाता था जबकि कोई भी कला खराब नहीं होती। नौटंकी देश की लोककला है लेकिन
कुछ लोगों ने इसका स्वरुप बिगाड़ने की कोशिश की है। सुर बंजारन उपन्यास पर
चर्चा करते हुए लेखक भगवानदास मोरवाल, कृष्णाकुमारी और रणवीर सिंह ने इसे
आज के दौर का उपन्यास बताया।
दक्षिण एशिया का सांस्कृतिक संकट
सत्र
के दौरान डा. गोपाल ठाकुर और युग पाठक ने नेपाल और डा. डीपी सिंह और
निर्मला परेरा ने श्रीलंका में सांस्कृतिक संकट के बारे में बताया। डा.
रामशरण जोशी ने भारत में चल रही स्थिति के बारे में बताया।
विस्थापन का दर्द
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