सरकारी आलमारी में मिले थे 2.31 करोड़ रुपए नकद और 1 किलो सोना, ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जयपुर। राजस्थान शासन सचिवालय के पीछे स्थित योजना भवन के बेसमेंट में रखी सरकारी आलमारी से मिले 2.31 करोड़ रुपए नकद औऱ 1 किलो सोना मामले में शक की सुई अब आईटी निदेशालय के संयुक्त निदेशक पर है। इस सिलसिले में संयुक्त निदेशक वेदप्रकाश यादव को हिरासत में लिया गया है। उनके घर और अन्य ठिकानों पर पुलिस ने छापेमारी भी की है। इससे पहले पुलिस ने योजना भवन में जहां शुक्रवार को 2000 और 500 रुपए की शक्ल में नकदी औऱ सोना मिला था, वहां से 7-8 कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी।
इधर, इस मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पल-पल का अपडेट दे रहे हैं। तमाम सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए हैं।
इधऱ, सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि यह पैसा बड़े सरकारी अफसर का है जो टेंडर अथवा कांटैक्ट के बदले लिया गया है। इन बैगों में नकदी और सोने के साथ विजिटिंग कार्ड और कुछ कांटैक्ट संबंधी पेपर्स भी मिले बताए। हालांकि पुलिस ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है। राजस्थान के इतिहास में यह पहली घटना है जबकि किसी सरकारी बिल्डिंग की आलमारी से इतनी बड़ी नकद राशि और सोना मिला है।
इस बीच, सोशल मीडिया पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा को हटाए जाने को लेकर मुहिम शुरू हो गई है। आईटी विंग और सेक्टर से जुड़े लोगों द्वारा उन्हें सोशल मीडिया में ट्रेंड किया गया। डीओआईटी (DOIT) में पिछले दिनों प्रोग्रामर पद से इस्तीफा देने वाले प्रो. टीएन शर्मा का इस्तीफा भी वायरल हो रहा है। खुद टीएन शर्मा ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बड़े अफसरों पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया में ऐलान किया है कि वह रोजाना इस भ्रष्टाचार की एक कड़ी खोलेंगे।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को करप्शन का पैसा सरकारी बिल्डिंग में छिपाए जाने का भांडा उस समय फूटा जब ई-फाइलिंग के तहत कुछ फाइलों का डिजिटलाइजेशन करने के लिए दो आलमारियों के ताले तोड़े गए। एक आलमारी में फाइलें मिली तो दूसरी में सूटकेस और बैग मिले। जिनमें 2.31 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकद राशि और सोने के बिस्कुट थे। इन्हें देखकर वहां मौजूद कर्मचारी घबरा गए। अपने उच्चाधिकारियों को सूचना देने के साथ ही अशोक नगर पुलिस को भी मौके पर बुलवाया गया। कर्नाटक में होते हुए भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरे मामले की जानकारी दी गई। तब अचानक रात 11 बजे मुख्य सचिव ऊषा शर्मा, डीजीपी उमेश मिश्रा औऱ जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कराई गई। लेकिन, शाम तक भी आनंद श्रीवास्तव यह स्पष्ट नहीं कर पाए थे कि आखिर यह पैसा और सोना किसका है और सरकारी बिल्डिंग में कैसे पहुंचा।
सरकार की हर योजना में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचारः
वसुंधराराजे
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने भी इस मामले में गहलोत सरकार पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि अब तो सरकार की हर योजना में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। धन्य हो राजस्थान की कांग्रेस सरकार। जहां सरकारी दफ्तर ही काला धन छिपाने के अड्डे बन गए हैं। इधर, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर पूरे मामले की केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के इतने बड़े मामले को राज्य सरकार की एजेंसियां दबा सकती हैं।
इतने बड़े मामले पर मुख्यमंत्री की चुप्पी आश्चर्यजनकः
इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चुप्पी आश्चर्यजनक है। पल-पल का अपडेट मिलने के बावजूद शनिवार देर शाम तक इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से किसी तरह का कोई बयान सामने नहीं आया है। नहीं सरकार की ओऱ से अन्य किसी मंत्री ने स्पष्टीकरण दिया है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मीडिया को कोई नया अपडेट देने से बच रहे हैं। हर बार यही कहा जा रहा है कि प्रेस कांफ्रेंस करके बताएंगे। अलबत्ता, मुख्यमंत्री की ओर से 5 करोड़ का ट्वीट जरूर किया गया है। यानि महंगाई राहत कैंपों में लाभार्थियों का आंकड़ा 5 करोड़ तक पहुंच गया है।
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