जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य की भौगोलिक
स्थितियों एवं हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की दृष्टि से जल जीवन मिशन
एक महत्वपूर्ण योजना है। विगत कुछ समय में प्रदेश में इस योजना के कार्यों
को काफी गति मिली है। संबंधित विभाग एवं अधिकारी इस योजना से जुड़े कार्यों
को और गति देकर निर्धारित लक्ष्यों को समय पर हासिल करें, ताकि गांव-ढाणी
तक लोगों को नल के माध्यम से जल उपलब्ध हो सके। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल
जीवन मिशन की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मिशन
के तहत प्रदेश में अब तक 52 हजार 647 करोड़ रूपए की स्वीकृतियां जारी होना
अच्छा संकेत है। इसमें 8 हजार 20 एकल जल प्रदाय परियोजनाएं एवं 120 वृहद्
परियोजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी इन परियोजनाओं का कार्य
निर्धारित टाइमलाइन के अनुरूप पूरा करना सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि पेयजल से जुड़ी परियोजनाओं में विलम्ब
के कारण संबंधित क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलने में देरी होती है। साथ ही,
योजनाओं की लागत भी बढ़ जाती है। अधिकारी यह ध्यान रखें कि जल जीवन मिशन से
जुड़ी परियोजनाओं में किसी तरह की देरी ना हो। इन परियोजनाओं में कार्य भी
गुणवत्तापूर्ण हो। इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना के साथ काम किया जाए और
कार्याें की निरंतर मॉनिटरिंग भी सुनिश्चित हो।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थितियां विषम होने के कारण यहां
परियोजनाओं की लागत अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक आती है, लेकिन अधिकारी
उचित प्रबंधन कर इस लागत को कम करने का भी प्रयास करें। जल जीवन मिशन में
राज्य की बराबर की हिस्सेदारी है और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य
सरकार आमजन के हित में एक बड़ा खर्च कर रही है। ऎसे में योजना में किसी तरह
की ढिलाई नहीं रहे और धरातल पर इसके सार्थक परिणाम दिखने चाहिए।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि राजस्थान में प्रति हाउसहोल्ड कनेक्शन पर 50 हजार रूपए से
ज्यादा का खर्च आता है, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह खर्च करीब
30 हजार रूपए के आसपास है। ऎसे में जरूरी है कि राजस्थान की स्थितियों के
दृष्टिगत केंद्र सरकार इस योजना में अपनी हिस्सा राशि बढ़ाए। उन्होंने
निर्देश दिए कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को फिर पत्र लिखकर राजस्थान की समस्या से अवगत
कराया जाए।
जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा
कि राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप विभाग जल जीवन मिशन से जुड़ी परियोजनाओं
को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रहा है। मिशन के तहत 8 हजार 485 योजनाओं की
स्वीकृति जारी हो चुकी है और 4 हजार 960 योजनाओं के कार्यादेश दे दिए गए
हैं। हमारा प्रयास है कि मिशन के सभी लक्ष्य तय समय में प्राप्त हों।
अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय सुधांश पंत
ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि प्रदेश में लघु पेयजल योजनाओं के तहत 37
लाख 75 हजार कनेक्शन दिए जाने हैं। इन सभी योजनाओं की तकनीकी स्वीकृति
मार्च 2022 तक जारी हो जाएगी और 80 प्रतिशत कार्य दिसम्बर 2022 तक पूरे कर
लिए जाएंगे। इसी प्रकार वृहद् पेयजल परियोजनाओं के माध्यम से 49 लाख 52
हजार जल कनेक्शन जारी किए जाने हैं। इन योजनाओं का 75 प्रतिशत कार्य
दिसम्बर 2023 तक पूरा किया जाना लक्षित है। शेष कार्य मार्च 2024 तक पूर्ण
होगा।
बैठक में प्रमुख सचिव वित्त अखिल
अरोरा, मिशन निदेशक डॉ. पृथ्वीराज, जिला मुख्यालयों से जलदाय विभाग के
मुख्य अभियंता, अतिरिक्त मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता भी वीसी से
जुड़े।
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